16 साल बाद मिटा कलंकः बेगुनाहों ने 11 साल जेल में बिताए! अब हाईकोर्ट ने किया बरी
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16 साल बाद मिटा कलंकः बेगुनाहों ने 11 साल जेल में बिताए! अब हाईकोर्ट ने किया बरी

हर्जाने की रकम उस जांच अधिकारी के वेतन या पेंशन से वसूल की जाएगी, जिसने अपहरण के मामले की जांच की थी.

16 साल बाद मिटा कलंकः बेगुनाहों ने 11 साल जेल में बिताए! अब हाईकोर्ट ने किया बरी

ग्वालियरः हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में अपहरण के 5 आरोपियों को 16 साल बाद मामले में बरी कर दिया है. अदालत ने पांचों आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए निर्दोष माना है. गौरतलब है कि पांचों लोग इस मामले में 11 साल की जेल की सजा भी काट चुके हैं. अदालत ने शासन को हर्जाने के तौर पर पीड़ितों को 3-3 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.   

16 साल बाद मिटा कलंक
दतिया जिले के एक व्यक्ति का साल 2005 में अपहरण हुआ था. जिसके आरोपित पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. जांच अधिकारी ने गलत जांच की और इस जांच के आधार पर दतिया जिले के विशेष सत्र न्यायाधीश ने साल 2008 में पांचों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. सजा मिलने के बाद आरोपियों ने 11 साल जेल में बिताए. 11 साल बाद जमानत मिली.

विशेष सत्र अदालत से सजा मिलने के बाद अपहरण के आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की. जहां सुनवाई होती रही. अब 12 अगस्त 2021 को इस मामले पर हाईकोर्ट में अंतिम बहस हुई. जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पांचों को निर्दोष माना और बरी करने का आदेश दिया. पीड़ितों को जुर्माने के तौर पर 3-3 लाख रुपए मिलेंगे और खास बात ये है कि ये रकम उस जांच अधिकारी के वेतन या पेंशन से वसूल की जाएगी, जिसने अपहरण के मामले की जांच की थी और उस जांच के आधार पर अदालत ने निर्दोषों को सजा सुना दी थी. 45 दिनों के भीतर शासन को यह राशि पीड़ितों को देनी होगी. 

क्या था मामला
दतिया जिले के भिटारी गांव में रहने वाले राम कुमार राजपूत का 22 जुलाई 2005 को अपहरण कर लिया गया था. राम कुमार के भाई ने पुलिस में अपहरण की शिकायत दी थी. कुछ दिन बाद अचानक से राम कुमार अपने घर पहुंच गया और बताया कि अपहर्ता सो रहे थे और इसी दौरान वह उनके चंगुल से भाग निकला. राम कुमार को छोड़ने के एवज में 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई थी. 

शिकायत के बाद पुलिस ने जांच की और पांच लोगों को आरोपी बनाकर अदालत से सजा दिला दी. अपहरण के झूठे मामले में फंसाए गए आरोपियों को अब भले ही राहत मिल गई हो लेकिन उनकी जिंदगी के अहम 11 साल उस गलती की भेंट चढ़ गए, जो उन्होंने की ही नहीं

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