भोपाल: सांची विधानसभा सीट पर अब बीजेपी का कब्जा हो गया है. उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार प्रभुराम चौधरी ने कांग्रेस के मदनलाल को बड़े अंतर से मात दी है. उन्होंने रिकॉर्ड 63 हजार 809 वोटों से जीत दर्ज की है, प्रभुराम चौधरी 1 लाख 16, 577 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार मदन लाल चौधरी को 52 हजार 768 वोट वोट मिल सके.
प्रभुराम चौधरी की जीत के तीन कारण
- सांची भाजपा का गढ़ है, यहां शिवराज सिंह, उमा भारती का प्रभाव माना जाता है. विरोध कर रहे डॉ गौरीशंकर शेजवार के विरोधी सीधे प्रभुराम से साथ हो गए. शिवराज की सीधी नजर वाली सीट...राजधानी के करीब होने से पूर्व मंत्री रामपाल, सुरेंद्र पटवा, प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा और RSS समेत दो दर्जन बड़े नेता सीधे नजर रखे हुए थे.
- डॉ प्रभुराम चौधरी की पिछले 35 वर्षों से गाँव-गाँव में पकड़, मतदाताओं से लगातार सतत संपर्क, क्षेत्र में विकास कार्य की सौगात, पॉलीटेक्निक कालेज , सेंट्रल स्कूल शहर के बीच 50 करोड़ की 2 लेन रोड जिला अस्पताल का उन्नयन प्रमुख है.
- कांग्रेस का प्रत्याशी कमजोर होना, गैरतगंज क्षेत्र के अलावा उसकी पहचान नहीं होना. बीजेपी का परंपरागत वोट साथ आना.
कांग्रेस प्रत्याशी की हार के कारण
- प्रत्याशी की पूरी विधानसभा क्षेत्र में पहचान न होना. जिला पंचायत सदस्य रहते अपने ही क्षेत्र में विकास नहीं करा पाए.
- दलित समाज का वोट बैंक 40 हजार हैं. इनका बड़ा प्रतिशत मदनलाल चौधरी के पक्ष में न होना.
- चुनाव के दौरान पूरे क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए, जिस कारण मतदाताओं से सीधा संपर्क नहीं हो पाया.
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रभुराम चौधरी कांग्रेस की टिकट पर यहां से चुनाव लड़े थे और बीजेपी के मुदित शेजवार को पटखनी दी थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के साथ वे विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए थे. लिहाजा उन्हें बीजेपी ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की है.
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