सिंधिया के खिलाफ क्यों अरुण यादव पर दांव लगा सकती हैं कांग्रेस, समझिए सियासी समीकरण
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सिंधिया के खिलाफ क्यों अरुण यादव पर दांव लगा सकती हैं कांग्रेस, समझिए सियासी समीकरण

Guna Lok Sabha Seat: गुना लोकसभा सीट पर इस बार सबसे दिलचस्प हो मुकाबला हो सकता हैं, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को उतार सकती है. 

सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं अरुण यादव

Jyotiraditya Scindia vs Arun Yadav: गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. बीजेपी ने यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अब तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. लेकिन कांग्रेस के जिस नेता को सिंधिया के खिलाफ प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा चल रही है, उससे गुना समेत पूरे ग्वालियर-चंबल में सियासी हलचल तेज हो गई है. दरअसल, बताया जा रहा है कि कांग्रेस सिंधिया के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को चुनाव लड़ा सकती है. जिसके पीछे कांग्रेस की सोची समझी रणनीति मानी जा रही है. 

इस वजह से अरुण यादव को उतार सकती है कांग्रेस 

दरअसल, गुना लोकसभा सीट पर कांग्रेस अरुण यादव को कई वजहों से चुनाव लड़ा सकती है, कांग्रेस क्षेत्रीय, जातिगत और अनुभव तीनों बातों को ध्यान में रखते हुए अरुण यादव को गुना लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है. इसके अलावा पार्टी सिंधिया के खिलाफ किसी बड़े और लोकप्रिय चेहरे को चुनाव लड़ाना चाहती थी, इस मामले में भी अरुण यादव सिंधिया के खिलाफ मुफीद नजर आते हैं. इन्हीं सब वजहों से कांग्रेस उन्हें मौका दे सकती है. 

जातिगत समीकरण 

गुना लोकसभा सीट ओबीसी बहुल मानी जाती है, जिसमें यादव जाति का प्रभाव सबसे ज्यादा माना जाता है, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के केपी यादव ने ही सिंधिया को चुनाव हराया था. ऐसे में कांग्रेस अरुण यादव के जरिए इस वर्ग को साधना चाहती है. खास तौर पर अशोकनगर और शिवपुरी जिले में यादव वर्ग का वर्चस्व माना जाता है. गुना लोकसभा में आने वाली मुंगावली, पिछोर, कोलारस और अशोकनगर विधानसभा सीटें यादव बहुल मानी जाती हैं, जबकि अरुण यादव भी इस क्षेत्र में जाना माना नाम हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी जातिगत समीकरण के आधार पर उन्हें मौका दे सकती है.  

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संगठन का अनुभव, दिग्गी का साथ 

अरुण यादव की गिनती कांग्रेस संगठन के अनुभवी नेताओं में होती है, वह सांसद, केंद्रीय मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष जैसी अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं, ऐसे में यादव के पास संगठन का लंबा अनुभव होने के साथ-साथ कोआपरेटिव यानि सहकारिता क्षेत्र पर भी मजबूत पकड़ मानी जाती है. इसके अलावा गुना लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह के परिवार भी अच्छा दबदबा माना जाता है, यादव की गिनती कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के करीबियों में होती है. ऐसे में अगर वह गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें दिग्विजय सिंह का भी पूरा साथ रहेगा, दिग्विजय सिंह के बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह गुना लोकसभा क्षेत्र में आने वाली राघौगढ़ विधानसभा सीट से विधायक हैं. 

प्रदेश में जाना-माना चेहरा हैं अरुण यादव 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ किसी बड़े चेहरे को चुनाव लड़ाना चाहती थी, पहले दिग्विजय सिंह का नाम यहां से चला था, लेकिन पार्टी संगठन उन्हें राजगढ़ से लड़ाने जा रही है. ऐसे में अरुण यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ाने की योजना बनी है. क्योंकि यादव प्रदेश की राजनीति में बड़ा चेहरा माने जाते हैं, हर जिले में उनकी पकड़ मानी जाती है. जबकि जातिगत समीकरण भी यादव के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस इन सभी समीकरणों को भुनाना चाहती है. 

दिलचस्प हो सकता है मुकाबला 

अगर अरुण यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं. तो फिर गुना प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट हो जाएगी. क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण यादव के बीच मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. क्योंकि दोनों नेताओं ने कांग्रेस में रहते हुए पहले एक साथ काम किया है, लेकिन पहली बार दोनों के बीच चुनावी मुकाबला होने से मामला रोचक होना तय माना जा रहा है. 

सिंधिया 6वीं बार लड़ रहे गुना से चुनाव 

ज्योतिरादित्य सिंधिया 6वीं बार गुना लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं, 2002 में उन्होंने पहली बार गुना में उपचुनाव जीता था, इसके बाद वह 2004, 2009 और 2014 में भी यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन 2019 में उन्हें बीजेपी के केपी यादव से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन 2020 में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए थे, ऐसे में इस बार वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 

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