1.5 रुपये के लिए 7 साल तक लड़ा केस, MP की अदालत ने सुनाया कभी न भूलने वाला फैसला
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1.5 रुपये के लिए 7 साल तक लड़ा केस, MP की अदालत ने सुनाया कभी न भूलने वाला फैसला

MP News: मध्य प्रदेश के सागर जिले के एक युवक ने 1.50 रुपए के लिए सात साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी. 2017 में सिलेंडर बुक करने के बाद गैस एजेंसी ने अतिरिक्त 1.50 रुपए देने से मना कर दिया, जिसके बाद  युवक ने गैस एजेंसी के खिलाफ कोर्ट में केस ठोक दिया.

7 year long legal battle was fought for Rs.1.50

Sagar News: मध्य प्रदेश के सागर जिले से एक बेहद दिलचस्प मामला सामने आया है जहां एक युवक ने 1.50 रुपए के लिए कानून का सहारा लिया. हैरानी की बात यह है कि सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद युवक की जीत हुई है. उपभोक्ता फोरम ने भी युवक के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे युवक की जीत हुई.

क्या है पूरा मामला
मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले चक्रेश जैन ने 1.50 रुपये के लिए कानून का सहारा लिया था. कोर्ट में सात साल तक केस चला जिसके बाद चक्रेश की जीत हुई. दरअसल, चक्रेश ने 14 नवंबर 2017 को सिलेंडर बुक कराया था. सिलेंडर भारत गैस एजेंसी से बुक कराया गया था जहां से ये मामला शुरू होता है. सिलेंडर की डिलीवरी के वक्त बिल 753.50 का बना और डिलीवरी मैन ने चक्रेश से 755 रुपये ले लिए. जब चक्रेश ने बाकी के 1.50 रुपये मांगे तो डिलीवरी मैन ने देने से मना कर दिया और गैस एजेंसी से संपर्क करने को कहा. चक्रेश ने तुरंत गैस एजेंसी और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई.

दो साल तक नहीं हुई कार्रवाई
जब दो साल तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई गई. गैस एजेंसी ने मामले का मजाक उड़ाया और इसे मामूली बताया. लेकिन चक्रेश अपनी शिकायत को लेकर गंभीर थे और इस मामले में न्याय की मांग कर रहे थे. चक्रेश ने इस मामले के लिए एक वकील भी रखा था. वकील राजेश सिंह ने इस मामले में चक्रेश का साथ दिया.

उपभोक्त्ता फोरम ने सुनाया फैसला 
2017 से करीब सात साल बाद यानी 2024 में यह फैसला सुनाया गया. उपभोक्ता फोरम के इस फैसले ने चक्रेश को न्याय दिलाया. फैसले में गैस एजेंसी को 1.50 रुपए 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया गया. साथ ही गैस एजेंसी को 2000 रुपए हर्जाने के तौर पर देने का आदेश दिया गया. जैन को इतने सालों तक हुई परेशानियों और कानूनी खर्चों के लिए 2000 रुपए देने का निर्देश दिया गया.

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