Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने राजगढ़ लोकसभा सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को उतारकर मुकाबला बेहद दिलचस्प बना दिया है. करीब 33 साल बाद दिग्विजय सिंह राजगढ़ के मैदान में हैं.
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Digvijay singh Will Contest From Rajgarh Lok Sabha: मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए शनिवार देर शाम को आई कांग्रेस के 12 प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में शामिल एक नाम ने चौंका दिया. यह नाम किसी और का नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद और सीनियर नेता दिग्विजय सिंह का है. दिग्विजय सिंह का नाम चौंकाने वाला इसलिए नहीं हैं कि लोकसभा चुनाव की लिस्ट में उनका नाम है, बल्कि इस वजह है क्योंकि उन्हें राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया है. राजगढ़ वही सीट है जहां से वे पहली बार और आखिरी बार लोकसभा चुनाव जीते थे.
राजगढ़ लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह के आने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. यहां उनका मुकाबला भाजपा के रोडमल नागर से होगा. नागर इस सीट से लगातार 2 लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन अब दिग्विजय सिंह के आने से राजगढ़ सीट पर मुकाबला कांटे का हो गया है. इस क्षेत्र में दिग्विजय सिंह की बहुत अच्छी पकड़ मानी जाती है. यही वजह है कि 2019 में चुनाव में एमपी में एक सीट पर सिमटने वाली कांग्रेस ने काफी सोच समझकर सिंह को राजगढ़ से चुनावी मैदान में उतारा है.
33 साल बाद 'गढ़' में दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव करीब 40 साल पहले 1984 में और आखिरी बार करीब 33 साल पहले 1991 में लड़ा था. दोनों ही बार दिग्विजय सिंह ने जीत दर्ज की थी. सिंह 1993 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसलिए उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी. इसके बाद उनके भाई लक्ष्मण सिंह 2004 तक लगातार जीतते रहे. इस क्षेत्र में दिग्विजय सिंह और उनके परिवार को अच्छा प्रभाव माना जाता है. उनके परिवार की पारंपरिक सीट राघोगढ़ सीट भी इसी लोकसभा सीट में आती है, जहां वर्तमान में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं.
कांटे का हुआ मुकाबला
दिग्विजय सिंह के आने से राजगढ़ सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. एक तरफ 2014 से यहां भाजपा का दबदबा है. दो बार से रोडमल नागर जीत रहे हैं. यही नहीं लोकसभा में आने वाली 8 में से 6 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. सिर्फ राघोगढ़ और सुसनेर सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. दूसरी ओर राजगढ़ सीट पर 16 बार आम चुनाव हुए हैं, जिसमें से अकेले 7 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. लंबे समय तक दिग्विजय और उनके परिवार का कब्जा रहा है. इन्हीं सब कारणों की वजह से यह कांटे की टक्कर वाली सीट बन गई है.