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ग्वालियर: मध्यप्रदेश के ग्वालियर के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी को लगभग 100 करोड़ रुपये के सोने और कीमती जवाहरातों से जड़े पोशाकों से सजाया गया है. मंदिर में भगवान के रत्न जड़ित पोशाकों की सुरक्षा के लिए हथियारों से लैस पुलिस बल को तैनात किया गया है. ये जेवरात सिंधिया राजवंश द्वारा ग्वालियर नगर निगम को दिये गये हैं.
भगवान के दर्शन के लिए मंदिर के बाहर टीवी स्क्रीन लगाये गये हैं. साथ ही भक्त फेसबुक लाइव के जरिये भी भगवान कृष्ण के दर्शन कर रहे हैं. ग्वालियर के फूलबाग में सिंधिया रियासतकालीन गोपाल मंदिर है. इस मंदिर में राधा-कृष्ण की प्राचीन प्रतिमा है और हर साल जन्माष्टमी के पर्व पर प्रतिमाओं को सोने-चांदी के जेवरात पहनाए जाते हैं.
ये जेवरात सिंधिया राजवंश ने ग्वालियर नगर निगम को सौंप दिए थे. देश की आजादी के बाद ये जेवर बैंक के लॉकर में रखे रहे और फिर साल 2007 से इन जेवरों को निकाला जाने लगा. अब हर साल जन्माष्टमी के मौके पर इनसे राधा-कृष्ण की प्रतिमा का श्रृंगार किया जाता है. इनकी मौजूदा कीमत करोड़ रुपये से ऊपर की बताई जा रही है.
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नगर निगम के आयुक्त संदीप माकिन ने बताया, 'बुधवार को जन्माष्टमी पर पुलिस बल की सुरक्षा में बैंक लॉकर से जेवर, श्रृंगार सामग्री और चांदी के बर्तन लाए गए. पूजा अर्चना के बाद राधा-कृष्ण की प्रतिमा का श्रृंगार किया गया. रात्रि एक बजे के बाद ये जेवर जिला कोषालय में रखे जाएंगे. इसके बाद सुबह इन गहनों को बैंक के लॉकर में रख दिया जायेगा.'
उन्होंने बताया कि राधा-कृष्ण के श्रृंगार में करीब आठ करोड़ रुपये के जेवर व अन्य सामग्री का उपयोग किया जाता है. इसमें सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार लगभग आठ लाख रुपये कीमत का है. वहीं सात लड़ी हार में 62 असली मोती और 55 पन्ने जड़े हुए हैं, इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपये है. इसके अलावा कृष्ण भगवान के लिए सोने के तोड़े और सोने का मुकुट हैं, जिनकी कीमत भी लगभग 80 लाख रुपये है.
राधाजी के ऐतिहासिक मुकुट में पुखराज और माणिक जड़ित पंख हैं और बीच में पन्ना लगा है. तीन किलोग्राम वजन के इस मुकुट की कीमत लगभग पांच करोड़ रुपये आंकी गई है. वहीं इसमें लगे 16 ग्राम पन्ने की कीमत लगभग 25 लाख बताई गई है.
इसके अलावा राधा-कृष्ण के श्रृंगार के लिये लगभग 25 लाख रुपये के जेवरों में श्रीजी और राधाजी के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि हैं. लगभग 80 लाख रुपये कीमत के चांदी के विभिन्न बर्तनों में भगवान को भोग लगाकर आराधना की गई है. इसमें भगवान की समई, इत्र, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्री शामिल हैं.