जबलपुर के पचमठा में मुरलीधर और राधा की प्रतिमा विराजमान है, इसके बारे में मंदिर के पुजारी कामता प्रसाद बताते हैं कि यह संत गिरधरलाल को यमुना में स्नान करते वक्त मिली थी. उन्होंने इसके रहस्य पर चर्चा करते हुए बताया कि गिरधरलाल व दामोदर लाल दो संत थे. जो दीक्षा लेने के लिए वृंदावन गए थे. गिरधरलाल को यमुना में मुरलीधर की प्रतिमा मिली थी.
Trending Photos
जबलपुर: जन्माष्टमी का पर्व केवल भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वैसे तो इसका केंद्र बिंदु मथुरा-वृंदावन है, लेकिन संस्कारधानी जबलपुर में मौजूद गोंडकालीन पचमठा मंदिर भी लघुकाशी सूक्ष्म वृंदावन माना गया है. इस मंदिर के कई पौराणिक महत्व हैं. खास बात ये है कि यहां विराजे भगवान कृष्ण और राधा की प्रतिमा यमुना से मिली थी.
क्या है इतिहास?
बताया जाता है कि पचमठ कभी देशभर के साधकों के लिए तंत्र साधना का केंद्र हुआ करता था. गोंडवाना काल में यहां नरबलि तक दी जाती थी. जिसका विरोध करते हुए संत चतुर्भज दास ने उसे बंद करा दिया था.
1660 में पचमठ का जीर्णोद्धार किया गया था. स्वामी चतुर्भुज दास द्वारा संस्कृत विद्या के प्रचार के लिए मंदिर प्रांगण में ही एक विद्यापीठ की स्थापना की गई थी. जिसके शिलालेख आज भी यहां मौजूद हैं और इसके गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं.
जबलपुर के पचमठा में मुरलीधर और राधा की प्रतिमा विराजमान है, इसके बारे में मंदिर के पुजारी कामता प्रसाद बताते हैं कि यह संत गिरधरलाल को यमुना में स्नान करते वक्त मिली थी. उन्होंने इसके रहस्य पर चर्चा करते हुए बताया कि गिरधरलाल व दामोदर लाल दो संत थे. जो दीक्षा लेने के लिए वृंदावन गए थे. गिरधरलाल को यमुना में मुरलीधर की प्रतिमा मिली थी. गुरू की प्रेरणा से उन्होंने विक्रम संवत 1660 में पचमठा में उक्त प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी. जिसका शिलालेख आज भी मौजूद है.
ये भी पढ़ें- पन्ना: बाघ P-123 की मौत के बाद अब तक नहीं मिला सिर, वन विभाग की दलील- मगरमच्छ खा गए सिर
आपको बता दें कि मंदिर के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगा है जिसमें संस्कृत में इसके स्थापना का समय भी लिखा गया है. यह शिलालेख पचमठा स्थित मंदिर में चार सदी के बाद भी सुरक्षित है जिसमें उल्लेख है कि भगवान मुरलीधर की प्रतिमा स्वामी चतुर्भुजदास द्वारा भाद्रपद शुक्ल अष्टमी (श्री राधाष्टमी महोत्सव) विक्रम संवत 1660 को स्थापित की गई थी. यह स्थान उसी समय से पचमठा के नाम से प्रसिद्ध है.
WATCH LIVE TV-