हनुमान जी की यह अनूठी मूर्ति ना तो सोने या चांदी से बनी है और ना ही किसी अष्टधातु या महंगे पत्थर से। इस मूर्ति का निर्माण साधारण मिट्टी और गोबर से किया गया है।
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भरत शर्मा/लुधियाना : कहा जाता है की हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है और जो भी भक्त हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाते हैं उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। किसी भी मंदिर में जहां हनुमान जी की प्रतिमा होती है वहां उनपर सिंदूर जरूर चढ़ाया जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां हनुमान जी की मूर्ति का शृंगार किया जाता है। लुधियाना के ठाकुरद्वारा नौहरियां में बनी हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता और ना ही उनके शृंगार में सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता। सिंदूर के बदले यहां पर चमेली के तेल में सिंगरफ को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। उसका लेप मूर्ति पर किया जाता है।
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हनुमान जी की इस अनूठी मूर्ति के बारे में जानें
हनुमान जी की यह अनूठी मूर्ति ना तो सोने या चांदी से बनी है और ना ही किसी अष्टधातु या महंगे पत्थर से। इस मूर्ति का निर्माण साधारण मिट्टी और गोबर से किया गया है। यह अलग मूर्ति कब और कैसे बनाई गई, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। सबसे खास बात यह है कि इस मूर्ति का शृंगार करने के लिए बाकायदा पहले से ही बुकिंग होती है। सामान्य तौर पर मूर्ति का शृंगार सप्ताह में दो बार मंगलवार और शनिवार को होता है। इसके लिए कई सालों की बुकिंग पहले ही हो जाती है। साल में एक बार हनुमान जयंती पर इस मंदिर में मूर्ति का विशेष शृंगार किया जाता है। बता दें कि इस मंदिर में दर्शन के लिए साल 2040 तक की बुकिंग फुल हो चुकी है। यानी अगर आप आज शृंगार के लिए बुकिंग करवाते हैं तो आपको अपनी बारी के लिए 20 साल का लंबा इंतजार करना होगा।
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मूर्ति का शृंगार इस तरह से किया जाता है ताकि इसका क्षरण न हो और यह सुरक्षित रहे। लेकिन विशेष शृंगार साल में एक बार हनुमान जयंती के मौके पर ही होता है। अगर आप भी यहां हनुमान जयंती पर मूर्ति का शृंगार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अभी बुकिंग करवानी होगी और 20 साल का इंतजार करना होगा। मंदिर संचालकों के पास वर्ष 2040 तक विशेष शृंगार की बुकिंग हो चुकी है। अगर आप मंगलवार व शनिवार को शृंगार करवाना चाहते हैं तो इसके लिए भी आपको कम से कम दो साल इंतजार करना होगा।
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