जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तो वह कमलनाथ के बाद प्रदेश में पार्टी नेतृत्व की पहली पसंद थे लेकिन अब सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद पार्टी को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ रहा है.
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नितिन गौतम/भोपालः उपचुनाव में जीत के साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की सत्ता पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है. वहीं उपचुनाव में अपेक्षित नतीजे ना मिलने के चलते पूर्व सीएम और कांग्रेसी नेता कमलनाथ के राजनैतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है. कमलनाथ अभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. माना जा रहा है कि कमलनाथ जल्द ही नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं. हालांकि वह अभी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चीफ के पद पर बनें रह सकते हैं.
केन्द्र की राजनीति में मिल सकती है जगहः ऐसी भी चर्चाएं हैं कि पार्टी कमलनाथ को अब केन्द्रीय संगठन में भी अहम जिम्मेदारी दे सकती है. कमलनाथ की बढ़ती उम्र को देखते हुए भी कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में किसी नए नेता को आगे बढ़ा सकती है. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तो वह कमलनाथ के बाद प्रदेश में पार्टी नेतृत्व की पहली पसंद थे लेकिन अब सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद पार्टी को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ रहा है.
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इन नेताओं को मिल सकती है अहम जिम्मेदारीः कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश में जिन नेताओं को अहम जिम्मेदारी दे सकता है, उनमें जीतू पटवारी का नाम प्रमुख है. जीतू पटवारी प्रदेश कांग्रेस के सचिव रहने के अलावा कार्यकारी अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. साथ ही वह युवा नेता हैं और अपने तीखे तेवरों के लिए जाने जाते हैं. जीतू पटवारी को राहुल गांधी और कमलनाथ के साथ ही दिग्विजय सिंह का भी करीबी माना जाता है. बीते दिनों जब कर्नाटक में राजनैतिक संकट गहराया था, तब जीतू पटवारी को ही बेंगलुरू भेजा गया था. जिससे पता चलता है कि कांग्रेस नेतृत्व को भी जीतू पटवारी से काफी संभावना नजर आती है.
हालिया उपचुनाव में भी जीतू पटवारी ने पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था. जीतू पटवारी की मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ इलाके के युवाओं पर अच्छी खासी पकड़ है. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के पद पर उनके नाम पर विचार हो सकता है.
इनके अलावा अजय सिंह भी ऐसे नेता हैं, जिन्हें कांग्रेस पार्टी अहम जिम्मेदारी दे सकती है. अजय सिंह पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे हैं राज्य की राजनीति के बड़े नाम माने जाते हैं. अजय सिंह पूर्व में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा भी चुके हैं. ऐसे में पार्टी एक बार फिर उन्हें यह जिम्मेदारी दे सकती है. हालांकि 2018 विधानसभा के चुनाव में अजय सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा था.
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अजय सिंह के अलावा अरुण यादव का नाम भी चर्चाओं में है, जिन्हें पार्टी कमलनाथ की जगह नेता प्रतिपक्ष का पद दे सकती है. अरुण यादव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं और प्रदेश की राजनीति के बड़े नेता माने जाते हैं.
अनुसूचित जाति-जनजाति के नेता को भी दी जा सकती है जिम्मेदारीः इनके अलावा ऐसी भी चर्चाएं हैं कि कांग्रेस राज्य में आदिवासी मतदाताओं के प्रभाव को देखते हुए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी नेता को भी नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. ऐसे में आदिवासी विधायक बाला बच्चन का नाम भी आगे बताया जा रहा है. बाला बच्चन पहले भी उपनेता प्रतिपक्ष का पद संभाल चुके हैं. बाला बच्चन कमलनाथ के करीबी भी माने जाते हैं. इनके अलावा सज्जन सिंह वर्मा और वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक डॉ. गोविंद सिंह के नाम की भी चर्चा है.
कांग्रेस संगठन में करेगी बड़े बदलावः बता दें कि उपचुनाव में हार के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है. जिसके तहत युवा नेताओं को संगठन में जगह दी जा सकती है. साथ ही पार्टी परफॉरमेंट ऑडिट के आधार पर नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी देगी. इसके अलावा हर 6 माह में पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा भी होगी. दरअसल लंबे समय से पार्टी संगठन में बदलाव और नेताओं की जवाबदेही तय करने की मांग की जा रही थी. कांग्रेस की आगामी निकाय, पंचायत चुनाव पर नजर है.
बीते कुछ सालों में भाजपा ने अपने आप को संगठन के स्तर पर काफी मजबूत किया है, जबकि कांग्रेस संगठन के स्तर पर कमजोर हुई है. ऐसे में अब मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी संगठन में बदलाव कर खुद को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.
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