शिवराज सरकार में मंत्री बने सिंधिया समर्थक सिलावट और राजपूत, जानिए इनके राजनीतिक सफर के बारे में
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शिवराज सरकार में मंत्री बने सिंधिया समर्थक सिलावट और राजपूत, जानिए इनके राजनीतिक सफर के बारे में

गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को 6 महीने तक बिना विधायक मंत्री बने रहने के बाद अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. नवंबर में हुए उपचुनाव में दोनों ही नेताओं ने अपनी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी.  

तुलसी राम सिलावट (L) और  गोविंद सिंह राजपूत.

भोपालः मध्य प्रदेश में नवंबर में हुए उपचुनाव के बाद आखिरकार मंत्रिमंडल विस्तार हो गया. रविवार दोपहर 12:30 बजे कार्यकारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शिवराज मंत्रिमंडल में दो नए सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. पहले से ही कयास लगाए जा रहे ​​थे कि कैबिनेट विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक दो विधायकों गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट की मंत्री के रूप में वापसी तय है. ऐसा ही हुआ भी.

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सांवेर विधायक तुलसी सिलवाट और सुरखी विधायक गोविंद सिंह राजपूत शिवराज कैबिनेट में एक बार फिर मंत्री बन गए. दोनों को उपचुनाव से पहले मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, क्योंकि बिना विधायक रहे ये मंत्री पद पर 6 महीने का कार्यकाल पूरा कर चुके थे. ये दोनों सिंधिया समर्थक नेता हैं. इनके मंत्री बनने के बाद शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक कुल मंत्रियों की संख्या 11 पहुंच गई है. या यूं कहें कि राज्य सरकार में 'महाराज' का कद बढ़ गया है. आइए एक नजर डालते हैं इन दोनों नेताओं के राजनीतिक सफर पर... 

तुसली सिलावट का राजनीतिक सफर 1982 में पार्षद पद से शुरू हुआ आज 5 बार के विधायक हैं 

नामः  तुलसी सिलावट 
पिता: ठाकुरदीन सिलावट
जन्मः 5 नवंबर 1954, पिवडाय गांव, इंदौर
शिक्षाः एमए (राजनीति शास्त्र)  
व्यवसायः खेती

सिलावट 1977 से 1979 तक शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इंदौर में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. 1979 से 1981 तक देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. वह 1982 में नगर निगम इंदौर के पार्षद बनने के बाद चर्चा में आए. 1985 में 8वीं विधानसभा में पहली बार विधायक बने और कांग्रेस पार्टी के संसदीय सचिव पद की अहम जिम्मेदारी निभाई. 1995 में नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे. उन्होंने साल 1998 से 2003 के बीच प्रदेश के ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष पद संभाला. इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद के पर भी रहे. सिलावट को 2007 में सांवेर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर टिकट दिया और वह जीते. 

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साल 2008 के आम चुनाव में भी उन्होंने तीसरी बार सांवेर सीट पर जीत हासिल की. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने चौथीं बार इस सीट से जीत दर्ज की और 25 दिसंबर 2018 को कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए. उन्हें स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन उन्होंने 10 मार्च 2020 को सिंधिया समर्थक विधायकों के साथ इस्तीफा देकर बीजेपी की सदस्यता ले ली. शिवराज सरकार में उन्हें जल संसाधन और मछुआ कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. 20 अक्टूबर 2020 को इन्हें भी गोविंद सिंह राजपूत के साथ मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि बिना विधायक बने 6 महीने तक ही मंत्री पद पर रह सकते हैं. उपचुनाव में सांवेर से जीत दर्ज कर विधायक बनने के बाद एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है. 

युवा कांग्रेस से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले गोविंद सिंह राजपूत चार बार के विधायक हैं

नामः  गोविंद सिंह राजपूत 
पिता: वीरसिंह राजपूत
जन्मः 1 जुलाई 1961, सागर
परिवारः दो बेटे, एक बेटी
व्यवसायः कृषि

गोविंद सिंह राजपूत ने अपने राजनितिक करियर की शुरुआत मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस से की. यहीं से वह युवा कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सदस्य बने. साल 2002 में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी का महासचिव बनाया गया. तभी से उनके विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की अटकलें तेज हुईं. साल 2003 में वह सुरखी से 12वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और पार्टी विधायक दल के सचेतक और प्राक्कलन, याचिका एवं सरकारी उपक्रम के सदस्य बने. 

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साल 2008 में वह दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार सुरखी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. राजपूत ने भी सिंधिया के साथ 10 मार्च 2019 को कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी. शिवराज सरकार में उन्हें खाद्य एवं सहकारिता मंत्री बनाया गया, वह कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे. बिना विधायक मंत्री बने रहने की 6 माह की अवधि खत्म होने पर उन्हें 20 अक्टूबर को इस्तीफा देना पड़ा. सुरखी उपचुनाव में कांग्रेस की पारुल साहू पर जीत दर्ज कर वह यहां से चौथी बार विधायक बने. उन्हें शिवराज कैबिनेट शामिल कर लिया गया है.

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