भोपाल गैस कांड की 37वीं बरसी, कई पीड़ित विधवा महिलाएं आज भी पेंशन से वंचित
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भोपाल गैस कांड की 37वीं बरसी, कई पीड़ित विधवा महिलाएं आज भी पेंशन से वंचित

 गैस पीड़ितों में सबसे बुरी हालत उन महिलाओं की हैं, जिन्होंने अपने पति को इस त्रासदी में खो दिया.

सांकेतिक तस्वीर

वासु चौरे/भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल में 2-3 दिसम्बर 1984 यानी आज से 37 साल पहले दर्दनाक हादसा हुआ था. इतिहास में जिसे भोपाल गैस कांड, भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया है. भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ, जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई और कई लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए, जो आज भी त्रासदी की मार झेल रहे हैं. अब भी कई लोग ऐसे हैं जो उचित मुआवजा और न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. गैस पीड़ितों में सबसे बुरी हालत उन महिलाओं की हैं, जिन्होंने अपने पति को इस त्रासदी में खो दिया. जहां कई महिलाओं को विधवा पेंशन योजना के तहत हर महीने 1000 रुपये की राशि मिलती है तो बहुत सी महिलाएं ऐसी भी है जो अब तक इससे वंचित हैं.

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500 महिलाएं पेंशन से वंचित
गैस पीड़ितों को न्याय दिलाने भोपाल में कई एनजीओ काम कर रहे हैं, गैस पीड़ितों के लिए आवाज़ उठाने वाली समाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर दावा करती हैं कि 500 के करीब ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें अब तक विधवा पेंशन की राशि नहीं मिल रही है. विधवा महिलाओं के लिए इस योजना को सरकार ने सन 2011 में शुरू किया था. इस बीच यह योजना दो बार बंद भी हुई फिलहाल योजना चालू है लेकिन सरकारी दांव पेंच के बीच कई महिलाओं के आवेदन लम्बित हैं.

अभी तक पेंशन शुरू नहीं हुई (केस-1)
गैस कांड में अपने पति और परिवार-जनों को खोने वाली महिलाओं की वास्तविक स्थिति जानने ज़ी मीडिया की टीम यूनियन कार्बाइड प्लांट के पास रहने वाली उमा बाई के घर पहुंची. जिनके पति का निधन गैस लगने के बाद सांस और हार्ट से संबंधित बीमारियों के चलते हो गया था. उमा बाई का कहना है कि वह पेंशन के लिए काफी पहले आवेदन कर चुकी है, लेकिन अब तक उनकी पेंशन शुरू नहीं हुई है. दुर्भाग्य से उमा बाई की बेटी का निधन भी एक हादसे के दौरान हो गया. अब उमा बाई अकेले एक कमरे के मकान में अपना जीवन सामाजिक संस्थाओं के भरोसे गुजर बसर कर रही हैं.

(केस-2)
इसी तरह पुराने शहर में रहने वाली महिला रानो मो. नासिर के पति की पति की मौत केंसर के कारण हो चुकी है, नासिर भी त्रासदी के दौरान जहरीली गैस के सम्पर्क में आये थे. गैस पीड़ित रानो को आवदेन करे महीनों बीत जाने के बावजूद अब तक पेंशन मिलना शुरू नहीं हुई है. रानो ये परिवार में पति, सास और ससुर की मौत हो चुकी है. रानो का 10 वर्षीय बेटा बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है. लेकिन उसका यह सपना तभी पूरा हो सकेगा जब उसके परिवार को सरकारी मदद मुहैया हो पाएगी

मदद के नाम पर दिया आश्वासन
वहीं सरकार के जिम्मेदार मंत्री और अफसरों की मानें तो उनका दावा है कि गैस पीड़ितों के लिए कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है , बड़ी संख्या में पीड़ितों तक राहत पहुंचाई गई है. आने वाले समय में भी यह सिलसिला जारी रहेगा. जिन महिलाओं को पेंशन नहीं मिल रही है उनको भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा.

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जल्द मिले न्याय
भोपाल गैस कांड को 37 साल पूरे हो गए हैं. हर साल आज के दिन बड़ी संख्या में लोग यूनियन कार्बाइड के सामने स्थित गैस पीड़ितों की याद में बनाए गए स्मारक पर पहुंचते हैं और मृतकों को श्रद्धांजलि देते हैं. गैस पीड़ितों की याद में बने स्मारक हर साल आज के दिन चमका दिया जाता है और इसके साथ ही भीषण गैस त्रासदी के जख्म एक बार फिर हरे हो जाते हैं. उम्मीद है कि सभी पीड़ित परिवारों को अब उचित न्याय मिलेगा.

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