बड़े काम का आधार! 5 साल पहले महाराष्ट्र से भटका दिव्यांग, अब ऐसे मिला परिवार
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बड़े काम का आधार! 5 साल पहले महाराष्ट्र से भटका दिव्यांग, अब ऐसे मिला परिवार

भारत सरकार की आधार कार्ड सर्विस के कारण 5 साल से अपने परिवार से भटक कर रह रहे बच्चे को उसका परिवार मिल गया है. बच्चा साल 2017 में महाराष्ट्र के जलगांव रेलवे स्टेशन से अपने परिवाप से बिछड़ कर जबलपुर पहुंच गया था.

बड़े काम का आधार! 5 साल पहले महाराष्ट्र से भटका दिव्यांग, अब ऐसे मिला परिवार

दुर्गेश साहू/जबलपुर: भारत सरकार द्वारा लाया गया आधार कार्ड न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में मददगार है. बल्कि ये बिछड़ों को मिलाने के लिए भी कारगर साबित हो रहा है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जबलपुर से जहां, साल 2017 में परिवार से बिछड़े दिव्यांग को उसके परिजन मिल गए हैं. अब वो प्रशासनिक कार्रवाई पूरी होने के बाद अपने परिजनों के साथ अपने घर जा सकेगा.

अनस को जबलपुर में मिला लालू नाम
5 साल से जबलपुर के शासकीय मानसिक अविकसित बालगृह में लालू नाम का बच्चा रह रहा है. यह बालक 10 जून 2017 को महाराष्ट्र के जलगांव से गुमशुदा हो गया था, जो ट्रेन में बैठकर जबलपुर पहुंच गया. भटक रहे बच्चे को 23 जून 2017 को चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों ने बालगृह पहुंचाया,जहां उसकी देखरेख की गई. लालू का असली नाम अनस शेख है. उसे बालगृह में लालू नाम दिया गया. अब लालू 17 साल 10 माह का हो चुका है और काफी कुछ सीख गया है.

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ऐसे चला परिवार का पता
कुछ समय पहले अनस का आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई तो पोर्टल पर उसका पहले से आधार कार्ड रिकॉर्ड में दिखाई दिया. जिसके बाद आधार विभाग से संपर्क करके उसकी पूरी जानकारी निकाली गई और परिजनों से संपर्क किया गया. आधार कार्ड सर्विस के जबलपुर प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी और बालगृह अधीक्षक रामनरेश के प्रयास से सोमवार को अनस के परिवार के सदस्य जबलपुर पहुंच गए. अब उन्हें प्रशासनिक कार्रवाई के बाद बच्चा सौंप दिया जाएगे.

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मां-बाप का हो चुका है देहांत
अनस के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है, करीब 2 साल की उम्र से वह अपने जीजा शेरखान के पास रह रहा था. मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बाद भी शेरखान ने उसकी देखरेख की. 10 जून 2017 को अनस जलगांव के रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. उसके खो जाने से पूरा परिवार दुखी था उन्होंने उसे खोजने के काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई.

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बच्चा हो गया था काफी कमजोर
बालगृह अधीक्षक रामनरेश पटेल की माने तो जब लालू उन्हें मिला तो उसकी उम्र 13 साल के करीब थी. वह काफी बीमार था, कई दिनों से उसने खाना पीना भी नहीं खाया था, जिस कारण उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. बालगृह में उसकी देखरेख की गई, पढ़ाया लिखाया गया और दूसरे बच्चों के साथ उसे विभिन्न एक्टिविटीज सिखाई गई. अब वो पहले से बेहतर है और उसकी हालत में काफी सुधार है.

परिवार ने जताया आभार
अनस को उनके परिजनों के सुपुर्द करने के पहले चाइल्ड वेलफेयर कमिटी में यह पूरा मामला रखा जाएगा और उसके परिजन होने का दावा करने वालों के साथ उसकी पुरानी पहचान वेरीफाई की जाएगी. इसके बाद परिवार के सदस्य उसे अपने साथ घर ले जा सकेंगे. शेरखान ने आधार कार्ड सर्विस के लिए सरकार और बालगृह के अधिकारियों का आभार जताया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो अनस को पढ़ाने और अच्छी परवरिश देने की कोशिश करेंगे.

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