Air Pollution Reason: सर्दियों में अक्सर हमारे शहर धुंध की चादर ओढ़े नजर आते हैं. वायु प्रदूषण चरम पर होता है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि दिल्ली, भोपाल समेत पूरे उत्तर भारत में सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण की समस्या इतनी गंभीर क्यों हो जाती है...
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नितिन गौतम/भोपालः मध्य प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई शहर इन दिनों भारी वायु प्रदूषण (Air Pollution) की चपेट में हैं. राजधानी भोपाल में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Ar Quality Index) 205 दर्ज किया है. सिंगरौली में हवा की क्वालिटी सबसे खराब है और वहां एक्यूआई 325 तक पहुंच गया है. ग्वालियर और देवास में भी एक्यूआई का आंकड़ा 300 के करीब है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा भी सांस लेने लायक नहीं है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है कि हर साल सर्दियों के मौसम में पूरे उत्तर भारत के शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है?
जानिए क्या है सर्दियों में प्रदूषण का कारण (Air Pollution Reason)
हमारे देश में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है और यह पूरे साल रहती है लेकिन सर्दियों में यह खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है. इसकी एक वजह तो है मानव, पर्यावरण और उद्योग जनित प्रदूषण है और दूसरी वजह है भूगोल! भौगोलिक कारण की बात करें तो उत्तर भारत में प्रदूषण की वजह टेंपरेचर इनवर्जन इफेक्ट है. आपने भी अपने स्कूल की किताबों में इस बारे में पढ़ा होगा. तो आइए जानते है कि यह कैसे सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है.
आमतौर पर ऐसा होता है कि हम जितना जमीनी सतह से ऊपर की तरफ चलते हैं उतना ही तापमान कम होता जाता है और ठंड बढ़ती जाती है लेकिन सर्दियों में जमीनी सतह के ठंडी होने के चलते टेंपरेचर इनवर्जन की प्रक्रिया होती है. जिसमें जमीनी सतह का तापमान ठंडा होता है और ऊपर की तरफ जाने पर तापमान बढ़ता जाता है. ऐसे में जब सर्दियां की रातों में जमीन सूरज से मिली गर्मी को रिलीज करती है और ठंडी होती है तो रिलीज की गई गर्मी ऊपर उठकर एक गर्म परत बना लेती हैं. जिसके चलते हवा ऊपर नहीं उठ पाती. अब चूंकि ठंडी हवा में ज्यादा मूवमेंट नहीं होती और वह लगभग स्थिर अवस्था में रहती है, जिससे हवा वायुमंडल में नीचे ही रहेगी. साथ ही हवा के कणों के साथ पर्यावरण का प्रदूषण भी मिल जाता है, जिससे धुंध बन जाती है. तभी आपने अक्सर देखा होगा कि सर्दियों की सुबह काफी धुंध होती है.
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मानव जनित प्रदूषण बढ़ाता है समस्या
ऊपर जो बात बताई गई है वो प्राकृतिक है और उसके चलते धुंध होती है लेकिन यह नुकसानदायक नहीं होती. जब इस धुंध के साथ मानव जनित प्रदूषण मिलता है तो यह हमारी एयर क्वालिटी को खराब करती है और हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाती है. बता दें कि एयर पॉल्यूशन का कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ, भारी उद्योगों और पावर जेनरेशन से होने वाला प्रदूषण, छोटे उद्योगों से होने वाला प्रदूषण, सड़कों पर उड़ने वाली धूल और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज, पराली को जलाने, जंगलों में लगने वाली आग और खेती के दौरान उड़ने वाली धूल प्रदूषण का प्रमुख कारण होते हैं. सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण के लिए 30 फीसदी, ईंधन जलने से 20 फीसदी, मिट्टी और धूल के कारण 20 फीसदी, इंडस्ट्रीज के कारण 15 फीसदी, खुले में कुड़ा जलाने से 15 फीसदी, डीजल वाहनों और मशीनों से 10 फीसदी, पावर प्लांट्स से 5 फीसदी वायु प्रदूषण करते हैं.
जब सर्दियों में टेंपरेचर इनवर्जन इफेक्ट के चलते हवा वायुमंडल में नीचे बहती है तो प्रदूषण के कण हवा के कणों के साथ मिल जाते हैं. यही प्रदूषण है जो एयर क्वालिटी को खराब करता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, आँखों में जलन और दृश्यता में कमी जैसी परेशानी होती हैं. प्रदूषण के चलते हवा में सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे तत्व पाए जाते हैं. यह प्रदूषण इंसानों में अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक्स और अल्जाइमर का कारण बन सकता है.
दिल्ली, यूपी, पंजाब, एमपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में वायु प्रदूषण ज्यादा होने की वजह है हिमालय और अन्य पहाड़ी इलाके, जिसकी वजह से उत्तर भारत के ये इलाके एक तरह से घाटी में आते हैं और इस वजह से यहां हवा के कारण बिखर नहीं पाते और धीमी हवा के चलते आसपास इकट्ठा हो जाते हैं. यही कारण है कि उत्तर भारत में सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण चरम पर होता है.
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गर्मियों में क्यों नहीं होती धुंध और प्रदूषण
गर्मियों के मौसम में गर्म हवा मुक्त होकर ऊपर की तरफ बहती है, जिसके चलते प्रदूषण भी हवा के साथ ऊपर उठता है और पर्यावरण में फैल जाता है. इससे धुंध नहीं बनती और प्रदूषण भी महसूस नहीं होता है.
क्या सर्दियों में सिर्फ भारत में प्रदूषण होता है?
सर्दियों में वायु प्रदूषण (Air Pollution Problem) की समस्या ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही है बल्कि यह पूरी दुनिया की समस्या है. साल 1952 में लंदन में द ग्रेट स्मॉग की घटना में प्रदूषण के चलते 12 हजार लोगों की जान चली गई थी. इस घटना ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था. इस घटना के बाद ही ब्रिटेन ने एयर क्वालिटी (Air Quality) को लेकर कानून सख्त किया है. भारत के पड़ोसी चीन में भी वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है और यह चीन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. बढ़ते औद्योगिकीकरण और वाहनों की संख्या के चलते वायु प्रदूषण भविष्य में और खतरनाक ही होगा.