Sevda Assembly: क्या सेवड़ा का वर्चस्व बरकरार रख पाएगी कांग्रेस या बीजेपी तोड़ेगी मिथक, जानिए इस सीट का इतिहास
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Sevda Assembly: क्या सेवड़ा का वर्चस्व बरकरार रख पाएगी कांग्रेस या बीजेपी तोड़ेगी मिथक, जानिए इस सीट का इतिहास

Sevda Vidhan Sabha Seat:  मध्य प्रदेश की सेवड़ा सीट दतिया (Datia sevda vidhan sabha) जिले में आती है. इस सीट पर इस समय कांग्रेस का कब्जा है. अब तक हुए यहां के चुनावों में कांग्रेस का आधिपत्य रहा है. इस बार यहां का क्या समीकरण होगा और इस सीट का क्या इतिहास है यहां जानें. 

Sevda Assembly: क्या सेवड़ा का वर्चस्व बरकरार रख पाएगी कांग्रेस या बीजेपी तोड़ेगी मिथक, जानिए इस सीट का इतिहास

Sevda Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election)को लेकर सियासी पारा काफी ज्यादा हाई हो गया है. सत्ता रूढ़ पार्टी भाजपा (BJP) और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) जनता को लुभाने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है. दोनों पार्टियों की निगाहें प्रदेश की सभी सीटों पर बनी हुई है. इसी में से दतिया जिले की एक सीट है सेवड़ा (Sevda Vidhan Sabha Seat). इस विधानसभा सीट पर हुए पिछले तीन चुनावों में अलग- अलग पार्टियों ने बाजी मारी. साल 2018 के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में कांग्रेस के घनश्याम सिंह ने बाजी मारी और भाजपा दूसरे स्थान पर रही. इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में भी यहां पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. 

किसने मारी बाजी 
सेवड़ा विधानसभा के अगर हम राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अब तक के हुए 11 विधानसभा चुनावों में 6 बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई. जबकि 3 बार इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की और 1 बार ये सीट जनता दल के खाते में गई और 1 बार बहुजन समाज पार्टी के कब्जे में रही. 

साल 2018 में सेवड़ा विधानसभा चुनाव के समय कुल 171760 वोट थे. जिसमें 93,166 पुरुष और 78593 महिला मतदाता थे. 2018 चुनाव में कुल 122987 वोट पड़े. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी घनश्याम सिंह 64810 वोट पाकर विजयी हुए. वहीं बीजेपी से राधेलाल पटेल 31542 पाकर हार गए. यहां हार जीत का अंतर 33268 यानी 27.45% रहा.

सेवड़ा का राजनीतिक इतिहास 
सेवड़ा विधानसभा की सीट साल 1951 में अस्तित्व में आई, यहां पर हुए पहली बार विधानसभा चुनाव 1951 में हुआ और कांग्रेस के राम दास लक्ष्मी नारायण महते (दिगुवां) ने जीत हासिल की. तब ये सीट विंध्य प्रदेश में थी. इसके बाद साल 1977 में तुलसी राम,  जनता पार्टी, 1980 में मंगल सिंह,  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1985 में महेंद्र बौद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1990 में महेंद्र बौद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1993 राम दयाल प्रभाकर भारतीय जनता पार्टी, 1998 में महेंद्र बौद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 2003 राम दयाल प्रभाकर भारतीय जनता पार्टी,  2008 राधेलाल बघेल बहुजन समाज पार्टी और 2013 प्रदीप अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी और 2018 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कुंवर घनश्याम सिंह ने चुनाव जीत हासिल की. 

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