मध्य प्रदेश की अटल शख्सियत थे Atal Bihari Vajpayee, आज भी हैं दिलों में जिंदा
Advertisement

मध्य प्रदेश की अटल शख्सियत थे Atal Bihari Vajpayee, आज भी हैं दिलों में जिंदा

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी का ग्वालियर से खास नाता था. यह शहर उनके लिए न केवल सामाजिक जीवन में खास रहा बल्कि राजनीतिक जीवन में भी खास रहा. एक बार के चुनाव में ग्वालियर से मिली हार के बाद भी अटलजी हंसने लगे थे. उनसे जुड़े किस्सों में यह किस्सा बहुत खास माना जाता है. 

मध्य प्रदेश की  अटल शख्सियत थे Atal Bihari Vajpayee, आज भी हैं दिलों में जिंदा

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: 15 अगस्त के बाद 16 अगस्त का दिन भी भारतीयों के लिए बेहद अहम बन गया है. क्योंकि देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के चमकते सितारे अटल बिहारी वाजपेयी Atal Bihari Vajpayee ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. भले ही अटल जी आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी यादें आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं. मध्यप्रदेश Madhya Pradesh  की धरा पर जन्में अटल बिहारी वाजपेयी की को आज भी संस्कारित राजनीति का प्रतीक माना जाता है. उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया था. सही मायनों में अटलजी भारत के रत्न थे. मध्य प्रदेश उनका घर था, ऐसे में इस प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा होगा जहां से अटलजी की यादे न जुड़ी हो. आज हम आपको अटल जी की पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं.

ग्वालियर में बीता अटल बिहारी वाजपेयी का बचपन 
अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते ही, मध्यप्रदेश के हर नागरिक का सीना चौड़ा हो जाता है. वो गर्वीले अंदाज में कहता है कि अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश से थे. ग्वालियर Gwalior वो शहर है जहां प्रदेश के इस अनमोल रत्न का बचपन बीता था. यूं तो अटल बिहारी वाजपेयी पूरे भारत को अपना घर मानते थे, लेकिन जन्मभूमि होने की वजह से मध्यप्रदेश से उन्हें गहरा लगाव था. मालवा के पठारों से लेकर चंम्बल के बीहड़ों तक, मध्यप्रदेश का ऐसा कोई शहर नहीं जिसमें अटलजी की यादें न समाई हों. इसलिए आज उन्हें पूरा प्रदेश याद कर रहा है. 

25 दिसंबर 1924 को हुआ था जन्म
मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्‍में अटल बिहारी वाजपेयी का एक लंबा समय इस शहर में गुजरा है. पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में बतौर टीचर नौकरी लगने के बाद यहीं शिफ्ट हो गए थे. माता-पिता की सातवीं संतान अटल की तीन बहनें और तीन भाई थे. उनका बचपन ग्वालियर की गलियों में ही गुजरा था. हालांकि बेहद साधारण परिवार में जन्मे अटलजी ग्वालियर तक ही सीमित नहीं रहे. बल्कि उगते हुए सूर्य की तरह अटलजी जब आगे बढ़े तो पूरी दुनिया में छा गए

विक्‍टोरिया कॉलेज की यादें 
पढ़ने-लिखने के शौकीन अटल बिहारी बाजपेयी बचपन से ही कवि सम्‍मेलन में जाकर कविताएं सुनना और नेताओं के भाषण सुनने में दिलचस्‍पी रखते थे. ग्‍वालियर के विक्‍टोरिया कॉलेज जिसे अब महारानी लक्ष्‍मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है में अटल की पढ़ाई हुई. यहीं से बीए करने के साथ ही अटल ने वाद विवाद की प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया. कॉलेज में उनके भाषणों ने उन्‍हें हीरो बना दिया और बाद में वो पूरे देश में एक हीरो के तौर पर जाने गए. 

मध्य प्रदेश से अटलजी का गहरा नाता 
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में सर्वोच्च पद तक पहुंचे, लेकिन उनका अपने प्रदेश से लगाव कभी कम नहीं हुआ. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर से लेकर हर छोटे-बड़े शहर से उनका गहरा नाता था. अटलजी जब भी एमपी आते थे, तो विरोधी भी उनके स्वागत के लिए तैयार खड़े मिलते थे. क्योंकि मध्य प्रदेश उनका घर था, यही वजह थी कि वह सभी से जिंदादिली से मिलते थे. उनकी निधन पर पूरा मध्य प्रदेश शोक में डूब गया था.

भोपाल से भी रहा गहरा नाता 
अटल बिहारी वाजपेयी का मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल Bhopal से भी गहरा नाता था, अटलजी जब भोपाल आते थे तब वह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के बरखेड़ी स्थित घर में रुकते थे. अटलजी उस समय बस और ट्रेन से अकेले ही दौरे करते थे. उनके बैग में दो-तीन जोड़ी कुर्ता और धौती रहती थीं. एक जोड़ी कपड़े वह तीन-चार दिन पहने रहते थे. जब भोपाल आते थे तो उन्हें नहलाने और कपड़े धुलवाने के लिए गौर साहब अपनी साइकिल से उन्हें बड़े तालाब ले जाया करते थे. यहां शीतल दास की बगिया में पहले वो कपड़े धोते और जब सूख जाते तो नहाते थे. गौर कहते हैं कि आधे रास्ते वो साइकिल चलाते और आधे रास्ते अटलजी साइकिल चलाते थे. 

एमपी में बीजेपी को खड़ा किया
मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी दशकों से राज कर रही है और एमपी बीजेपी का भगवागढ़ बन चुका है, लेकिन बीजेपी की इस सफलता के पीछे अटल बिहारी वाजपेयी का बड़ा हाथ है. अटल बिहारी वाजपेयी ने ही मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए नेतृत्व की वो पौध तैयार की थी जो आज बड़े वृक्ष बन चुकी है. वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अटलजी के नेतृत्व में ही अपनी राजनीति की शुरुआत की थी, विदिशा सीट खाली करने के बाद अटलजी ने शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उपचुनाव लड़वाया था, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा जैसे बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी से ही राजनीति सीखते हुए आगे बढ़े और राजनीति में बड़े मुकाम पर है. 

एमपी का प्रतिनिधित्व किया 
'क्या हार में क्या जीत में, किचिंत नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो मिला ये भी सही वो भी सही' अपनी इसी कविता की तरह उन्होंने राजनीति में शून्य से शिखर तक का सफर तय किया. तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए. ग्वालियर और विदिशा सीट से उन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. अटलजी का हर काम अनोखा होता था. विदेश मंत्री रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर पूरी दुनिया में हिंदी को पहचान दिलाई तो पोखरण में परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को भारत का दम दिखाया. शिक्षा से स्वास्थ्य, रक्षा से संचार, उद्योग से रोजगार तक हर दिशा में अटलजी ने ऐसा ही काम किया, जिसके चलते इन सभी क्षेत्रों में आज भी अटलजी की नीतियों का देश को फायदा मिल रहा है.

देश के सच्चे सपूत थे वाजपेयी जी 
अटल बिहारी वाजपेयी हर मायने में देश के सच्चे सपूत थे, राष्ट्र पुरुष, मार्गदर्शक, देशभक्त न जाने कितनी उपाधियों से देश उन्हें पुकारता है. वे हर मायने में भारत के सच्चे रत्न थे. जिन्होंने जमीन से जुड़कर राजनीति की और जनता के प्रधानमंत्री के रुप में अपनी खास पहचान बनाई. जिन्हें आज पूरा देश याद कर रहा है.

ये भी पढ़ेंः जब अपनी हार पर हंसे थे अटल बिहारी वाजपेयी, कहा था-मेरी हार का मुझे गम नहीं 

Trending news