बुरहानपुर की इस पंचायत में 60 साल से नहीं हुआ चुनाव, निर्विरोध चुने जाते हैं सरपंच, गिनीज बुक की तैयारी
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बुरहानपुर की इस पंचायत में 60 साल से नहीं हुआ चुनाव, निर्विरोध चुने जाते हैं सरपंच, गिनीज बुक की तैयारी

बुरहानपुर जिले की एक पंचायत में पिछले 60 सालों से सरपंच पद के लिए चुनाव नहीं हुए हैं, क्योंकि यहां हर पांच साल में निर्विरोध सरपंच चुन लिया जाता है. खास बात यह है कि यहां भीड़ की आवाज से ही सपरंच चुना जाता है.

बुरहानपुर की इस पंचायत में 60 साल से नहीं हुआ चुनाव, निर्विरोध चुने जाते हैं सरपंच, गिनीज बुक की तैयारी

बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव में इस बार समरस पंचायतों पर जोर दिया जा रहा है, यानि गांव के लोगों को आपसी सहमति से निर्विरोध सरंपच चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, खास बात यह है कि प्रदेश की कई पंचायतों में निर्विरोध सरपंच चुने भी जा रहे हैं. लेकिन बुराहनपुर जिले की एक पंचायत ऐसी है जहां पिछले 60 सालों से निर्विरोध सरपंच चुने जा रहे हैं, इस बार के चुनाव में भी पंचायत के लोगों ने इस परंपरा को कायम रखते हुए सरपंच का चयन निर्विरोध किया है

मांजरोद पंचायत में होता है निर्विरोध चुनाव 
दरअसल, बुरहानपुर जिले की मांजरोद पंचायत समरसता का उदाहरण बनी हुई है, क्योंकि यहां पिछले 60 सालों से ही निर्विरोध सरपंच चुना जा रहा है. इस बार सरपंच सहित सभी सभी पदों पर महिलाएं चुनी गई हैं. इस बार निर्विरोध सरपंच चुने जाने पर गांव को 15 लाख का इनाम भी शासन की तरफ से मिलेगा.  इस बार गांव की लाड़की बाई कृष्ण सरपंच और ललिता बाई विष्णु जगताप उपसरपंच चुनी गई हैं. 

भीड़ से आती है आवाज और चुन लिया जाता है सरपंच 
गांव में एक बैठक होती है, उस बैठक में बैठी भीड़ से एक आवाज आती है, जिसका नाम लिया जाता है उसे सर्व सम्मति से सरपंच चुन लिया जाता है. दरअसल, पंचायत चुनाव के बाद जब पंचायत में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तब गांव के लोग आपस में बैठकर सभी नामों पर विचार करते हैं, जिसे सरपंची के लिए चुना जाना होता उसका नाम बैठक में मौजूद भीड़ में से कोई एक शख्स लेता है. जिसमें कहा जाता है इस बार इसे सरपंच चुनना है.

बैठक से आवाज निकलने के बाद बाकि के लोग उस पर सहमति जताते हैं, जिसके बाद उसे सरपंच चुन लिया जाता है. ऐसा करने से गांव में किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति भी नहीं बनती है और सभी एक नाम पर सहमत भी रहते हैं. इस तरह मांजरोद पंचायत में 60 सालों से चुनाव नहीं हो रहा है. 

गिनीज बुक की कर रहा तैयारी 
सबसे अहम बात यह है कि अपनी इस अनोखी परपंरा के चलते अब मांजरोद गांव गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराने की तैयारी में है. गांव के लोगों का कहना है कि पिछले 60 सालों से हमारे यहां इसी तरह सरपंच चुने जा रहे हैं, चाहे पंचायत में आरक्षण कैसा भी हो. गांव के लोगों का कहना है कि ग्रामीण विकास विभाग में उनका गांव गरीबी मुक्त गांव भी कहलाता है. क्योंकि यहां किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है. हमारा गांव सभी सुविधाओं से संपन्न है. सड़क, स्कूल, आंगनबाड़ी, पानी की सुविधा, पक्की नालियां, शादी हाल, जिम, खेल मैदान सबकुछ हैं. इसलिए अब गांव का नाम गिनीज बुक में दर्ज कराने की बात कही है. 

आज के दौर में जहां पंचायत चुनाव में लोग चुनाव के चलते विवाद करने से भी पीछे नहीं हटते, ऐसे में बुरहानपुर की मांजरोद ग्राम पंचायत सभी के लिए एक उदाहरण है कि आपसी सहमति से सभी काम किए जा सकते हैं. 

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