इंदौर, भोपाल में कमिश्नर सिस्टम! क्या है कमिश्नरी प्रणाली, क्यों मानी जाती है बेहतर, जानिए आसान भाषा में
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इंदौर, भोपाल में कमिश्नर सिस्टम! क्या है कमिश्नरी प्रणाली, क्यों मानी जाती है बेहतर, जानिए आसान भाषा में

फिलहाल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के किसी भी जिले में कमिश्नरी प्रणाली (commissioner system) नहीं है. क्या है कमिश्नरी प्रणाली, कमिश्नर सिस्टम को आसान भाषा में समझिए.

आजादी से पहले भी थी कमिश्नर प्रणाली

भोपालः सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) के ऐलान के बाद प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) और आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore) में कमिश्नर सिस्टम (commissioner system)  पर मुहर लग गई. इसे कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए अहम कदम कहा जाएगा. सीएम शिवराज ने कहा कि शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, भौगोलिक स्थितियां बदल रही हैं. ऐसे में कानून व्यवस्था के सामने नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं. इसी को देखते हुए भोपाल और इंदौर में कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कमिश्नर सिस्टम लागू करने का फैसला किया है. फिलहाल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के किसी भी जिले में कमिश्नरी प्रणाली नहीं है. 

क्या है कमिश्नरी प्रणाली
कमिश्नर प्रणाली को आसान भाषा में समझें तो फिलहाल पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते हैं. वो आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम, मंडल कमिश्नर या शासन के दिए निर्देश पर ही काम करते हैं. पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाएंगे. इसमें होटल और बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार उन्हें मिल जाता है. इसके अलावा शर में धरना प्रदर्शन की अनुमति देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज या कितना बल प्रयोग हो ये निर्णय सीधे पुलिस ही करेगी. यानि उनके अधिकार और ताकत बढ़ जाएंगे. पुलिस खुद फैसला लेने की हकदार हो जाएगी. ऐसा क्यों माना जाता है कि कानून व्यवस्था के लिए कमिश्नर प्रणाली ज्यादा बेहतर है. ऐसे में पुलिस कमिश्नर कोई भी निर्णय खुद ले सकते हैं. सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था में ये अधिकार जिलाधिकारी (DM) के पास होते हैं. 

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कमिश्नरी प्रणाली के बाद रैंक
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस का बल बढ़ जाएगा. सबसे पहले कमिश्नर का मुख्यालय बनेगा. एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात होंगे. शहर को जोन में बांटा जाएगा. हर जोन में डीसीपी की तैनाती की जाएगी. कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद पद
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर – सीपी
संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर –जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – पीआई
सब-इंस्पेक्टर – एसआई
पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर 

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डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को
बता दें भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी DM के पास पुलिस को कंट्रोल करने के अधिकार होते हैं, जो पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस विभाग को मिल जाएंगे. यानि जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाएंगे.

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आजादी से पहले भी थी कमिश्नर प्रणाली 
पुराने रिकॉर्ड्स देखें तो आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी, इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया. कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर का सर्वोच्च पद होता. अंग्रेजों के जमाने में ये सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में हुआ करता था. इसमें ज्यूडिशियल पावर कमिश्नर के पास होता है. यह व्यवस्था पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है. 

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