भोपाल के इकबाल मैदान का नाम बदलने की मांग, भाजपा नेता ने CM शिवराज को लिखी चिट्‌ठी
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भोपाल के इकबाल मैदान का नाम बदलने की मांग, भाजपा नेता ने CM शिवराज को लिखी चिट्‌ठी

राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान का नाम देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर करने के लिए भाजपा नेता सुरेन्द्र शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. 

भोपाल के इकबाल मैदान का नाम बदलने की मांग, भाजपा नेता ने CM शिवराज को लिखी चिट्‌ठी

प्रिया पांडे/भोपाल: राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान का नाम देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर करने के लिए भाजपा नेता सुरेन्द्र शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. सुरेन्द्र शर्मा ने पत्र में लिखा है कि देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. दुर्भाग्य से भोपाल में एक मैदान का नाम मोहम्मद अल्लामा इकबाल के नाम पर भी है. यह वहीं अल्लामा इकबाल हैं, जिसने मुस्लिम लीग के अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के 29 दिसंबर 1930 में हुए इलाहाबाद अधिवेशन में पाकिस्तान प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि मैं पंजाब उत्तर पश्चिम सीमावर्ती प्रांत,सिंध और बलूचिस्तान को सम्मिलित रूप से एक राष्ट्र देखना चाहूंगा.

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इस खत में सुरेन्द्र शर्मा ने आगे लिखा है कि हो सकता है यह व्यक्ति कभी राष्ट्रवादी रहा हो पर जीवन के अंतिम काल में ये भारत के विभाजन का कारक बने. अब जहां एक ओर भाजपा मोहम्मद अल्लामा इकबाल विभाजन का कारक बता रहें हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस कह रही है कि अगर भापजा के नेताओं ने काम किया तो उन्हें नाम की राजनीति नहीं करनी पड़ती.

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बीजेपी नेता ने लिखा हैं कि अल्लामा इकबाल न केवल मुस्लिम लीग का अध्यक्ष रहा बल्कि भारत के विभाजन का कारण भी बना. पाकिस्तान में उसे राष्ट्र कवि का दर्जा भी प्राप्त है. अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि भोपाल के इकबाल मैदान का नाम बदलकर देश के किसी भी स्वतंत्र संग्राम सेनानी के नाम पर किया जाए. इस तरह उन्होने इकबाल मैदान का नामकरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर करने की मांग की है.

मु्द्दे से भटका रही बीजेपी
कांग्रेस उपाध्यक्ष कांग्रेस मीडिया विभाग अजय सिंह यादव ने कहा हैं कि आज देश में जनता बदहाल है. महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ये लोग बात नहीं करना चाहते. रही बात नाम बदलने की तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी मुस्लिम लीग साथ मिलकर सरकार बनाई थी. उसपर बात क्यों नहीं करते? जनता को मुख्य मुद्दे से भटकना चाहते हैं, इसलिए इस तरह की राजनीति कर रहे हैं.

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