RTI आवेदन के निराकरण में अपनी गलती छुपाने के लिए नोटशीट में कांटछाट कर अपने ही सीनियर अधिकारी को फंसाने के मामले में सूचना आयुक्त ने सख्ती दिखाई है. उन्होंने आयोग की जांच में दोषी पाए गए अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
Trending Photos
भोपाल: मध्य प्रदेश में RTI आवेदन के निराकरण में अपनी गलती छुपाने के लिए नोटशीट में कांटछाट कर अपने ही सीनियर अधिकारी को फंसाने का एक मामला सूचना आयोग के सामने आया है. फर्जीवाड़े के इस आरोप पर मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जांच कर उपायुक्त विकास जिला पंचायत कटनी कृष्णकांत पांडे के विरुद्ध भोपाल में पंचायत विभाग विकास आयुक्त को अनुशासनिक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है.
क्या था मामला
प्रभात कुमार द्विवेदी ने आरटीआई आवेदन जिला पंचायत सिंगरौली में दायर किया गया था. जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने प्रथम अपील दायर की और उसके बाद सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की. इसके बाद आयोग ने मामले को जांच में लिया.
ये भी पढ़ें: वोटिंग से पहले एक्शन में बीजेपी, 51 पदाधिकारियों पर हुई सख्त कार्रवाई
आयोग ने शुरू की परत दर परत जांच
जांच में सामने आया कि आरटीआई आवेदन की फाइल तत्कालीन परियोजना अधिकारी कृष्णकांत पांडे के पास थी. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण में पांडे को कारण बताओ नोटिस जारी किया तो पांडे ने जानकारी नहीं मिलने के लिए तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ सिंगरौली प्रियंक मिश्रा जो अब वर्तमान में कलेक्टर कटनी है को जवाबदेह ठहराया.
अपनी गलती को अपनी ही अधिकारी पर थोपा
अपने पक्ष में साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए पांडे ने तीन नोटशीट आयोग के सामने पेश की जिसमें उनके द्वारा आरटीआई आवेदन का प्रकरण को प्रियंक मिश्रा को मार्क किया गया था. पांडे का कथन था कि प्रियंक मिश्रा के पास फाइल भेज दी थी और मिश्रा ने इस मामले में आगे कार्रवाई नहीं की. इस कारण प्रियंक मिश्रा ही दोषी हैं.
ये भी पढ़ें: ज्वाइनिंग से साथ ही रायपुर कलेक्टर ने किया कुछ ऐसा, इंप्रेस हो गए लोग
सिंगरौली के जिला पंचायत सीईओ जांच से हुआ खुलासा
प्रियंक मिश्रा आयोग के नोटिस पर कृष्णकांत पांडे के कथन को असत्य बताया और कहा कि उनके पास कोई भी फाइल नहीं भेजी गई थी. साथ ही मिश्रा ने इस नोटशीट की जांच करने के लिए सिंगरौली के जिला पंचायत सीईओ साकेत मालवीय को लिखा. जिला पंचायत सीईओ सिंगरौली साकेत ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि नोट शीट पर काट छांट की गई है और नोटशीट कूट रचित प्रतीत हो रही है. इसके बाद आयोग द्वारा केके पांडे को अपने आरोपों को एफिडेविट के रूप में आयोग के समक्ष पेश करने को कहा गया.
नोटशीट की नंबरिंग पर की गई ओवर राइटिंग
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह द्वारा इन सभी दस्तावेजों की जांच की गई तो नोटशीट की नंबरिंग पर भी ओवर राइटिंग दिखी. इस प्रकरण में की गई जांच में यह भी तथ्य सामने आया की पांडे लोक सूचना अधिकारी के पद पर थे ही नहीं और आरटीआई आवेदन पर उन्हें कोई कार्रवाई करने की पात्रता भी नहीं थी. ऐसी स्थिति में आरटीआई अधिनियम के तहत पांडे की भूमिका लोक प्राधिकारी के रूप में स्थापित होती है और उन्हें अधिनियम के अनुरूप 5 दिन के अंदर संबंधित अधिकारी को आरटीआई आवेदन को अंतरित करना था, लेकिन पांडे द्वारा आरटीआई आवेदन को अंतरित ना करके अधिनियम का उल्लंघन किया.
सूचना आयुक्त आयुक्त ने दिए कार्रवाई निर्देश
सूचना आयुक्त सिंह ने अपने आदेश में कहा है नोटशीट में छेड़छाड़ करना भारतीय दंड संहिता की धारा 463, 464 और 465 के तहत दंडनीय अपराध है. वहीं गलत एफिडेविट प्रस्तुत करना भारतीय दंड संहिता की धारा 191 और 192 के तहत दंडनीय है. सूचना आयुक्त ने भोपाल में विकास आयुक्त पंचायत विभाग को निर्देशित किया कि आगे और जांच कर इस संबंध में सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत केके पांडे के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
LIVE TV