Gandhiji Death Anniversary: मध्य प्रदेश में 10 दफा आए थे महात्मा गांधी, जानें क्यों खास रहीं बापू की ये यात्राएं
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Gandhiji Death Anniversary: मध्य प्रदेश में 10 दफा आए थे महात्मा गांधी, जानें क्यों खास रहीं बापू की ये यात्राएं

Gandhiji Death Anniversary: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) यानी बापू (Bapu) की पुण्यतिथि 30 जनवरी (30 January) को है. इस दिन उनके विचारों को याद करने के लिए देश दुनिया में तामाम कार्यक्रमों का आयोजन होगा. तो आइये जानते हैं गांधीजी की मध्य प्रदेश में की गई यात्राओं (Madhya Pradesh Connection) क बारे में...

Gandhiji Death Anniversary: मध्य प्रदेश में 10 दफा आए थे महात्मा गांधी, जानें क्यों खास रहीं बापू की ये यात्राएं

Gandhiji Death Anniversary: 30 जनवरी (30 January) को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) यानी बापू (Bapu) की पुण्यतिथि है. इस दिन दुनिया उनको उनके विचारों के जरिए याद करेगी. तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. तो आइये हम आपको बाताते हैं गांधीजी की मध्य प्रदेश में की गई 10 यात्राओं (Madhya Pradesh Connection) क बारे में...

मध्य प्रदेश में बापू की यात्राएं

पहली यात्रा- 28 मार्च 1918, इंदौर
गांधी जी इंदौर में हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में पधारे थे. यह मध्यप्रदेश की उनकी पहली यात्रा थी. इंदौर यात्रा के बाद ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में 'गांधी युग' का सूत्रपात हुआ जो 1919 के बाद का काल माना जाता है.

दूसरी यात्रा- 20 व 21 दिसंबर 1920
मध्य प्रदेश में बापू की दूसरी यात्रा 20 व 21 दिसंबर 1920 को हुई थी. इस दौरान वो रायपुर, धमतरी, कंडैल व कुरूद अंचल में गए थे. इस यात्रा का मकशद सत्याग्रहियों के विचार को मजबूती देना था. क्यों की तब वहां कंडैल नहर सत्याग्रह, प्रदेश में आजादी के आंदोलन जोर पकड़ रहा था.

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तीसरी यात्रा- 6 जनवरी 1921, छिंदवाड़ा
बापू की तीसरी मध्य प्रदेश यात्रा छिंदवाड़ा में 6 जनवरी 1921 को हुआ थी. तब उन्होंने यहां के लोगों को देश आजाद कराने में अपना योगदान देने के लिए अलख जगाई थी. साथ ही गांधीजी ने गंदगी हटाने और स्वच्छता अपनाने के साथ अस्पृश्यता को दूर करने का संदेश भी दिया था.

चौथी यात्रा- 20 व 21 मार्च 1921, सिवनी, जबलपुर
चाथी यात्रा में महात्मा गांघी 20 व 21 मार्च 1921 को सिवनी, जबलपुर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कई लोगों मुलाकात की थी और आजादी की अलख को जगाया था.

पांचवी यात्रा- 1921, खंडवा मेंमई
इस यात्रा के दौरान महात्मा गांधी कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिए थे. और लोगों को सत्या अहिंसा के सात आजादी के लिए लड़ने को प्रेरित किया था.

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छठवी यात्रा- सितंबर 1929, भोपाल और सांची
ये यात्रा गांधीजी ने तत्कालीन नवाब हमीदुल्ला खां के आमंत्रण पर पर की था. तब वो 10 सितंबर 1929 को हुई जनसभा में बोले थे की ‘रामराज्य का मतलब हिंदू राज्य कतई नहीं है. रामराज्य से मतलब है, ईश्वर का राज है.

सातवीं यात्रा - 22 नवंबर से 8 दिसंबर 1933, कई शहर
इस यात्रा में बापू बुरहानपुर, खंडवा, हरदा, बाबई, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट पहुंचे थे. तब उन्होंने एकजुट रहने और हिंदू धर्म में अस्पृश्यता को मिटाने के लिए आव्हान किया था.

आठवीं यात्रा- 20 अप्रैल 1935, इंदौर
साल 1925 में अंग्रेज अधिकारी ने इंदौर में कम्पोस्ट सिस्टम बनाया, जिसे विश्व के कई देशों ने अपनाया. इसे इंदौर विधी कहा जाता था. 1934 में इंदौर के इस प्रयोग का जिक्र करते हुए महात्मा गांधी ने अपने पत्र हरिजन में इसकी प्रशंसा लिखी थी. इसके बाद जब वो 1925 में इंदौर आए तो वो इसे समझने के लिए विशेष तौर पर इंस्टिट्यूट ऑफ प्लांट इंडस्ट्री पहुंचे थे.

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नवीं यात्रा- फरवरी 1941, जबलपुर व भेड़ाघाट
फरवरी 1941 में महात्मा गांधी जबलपुर व भेड़ाघाट आए थे. उन्होंने भेड़ाघाट धुंआधार जलप्रपात का भी दीदार किया. बापू के अंदर मध्य प्रदेश की संस्कारधानी का इतना प्रभाव हुआ कि वे यहां आश्रम भी बनाना चाह रहे थे.

दसवीं यात्रा- 27 अप्रैल 1942, जबलपुर
गांधी जी दूसरी बार जबलपुर 1942 में आए थे. हालांकि, ये यात्रा निजी तौर पर जबलपुर की दूसरी वैसे चौथी यात्रा थी. इस बार उनके दर्शनार्थ जनसैलाब उमड़ पड़ा था. गोलबाजार में उनका भाषण हुआ था.

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