Gwalior News: ग्वालियर नगर निगम के अफसरों ने जो कांड किया है, उसकी चर्चा तो ग्वालियर से लेकर भोपाल तक है. दरअसल नगर निगम की एक फायर ब्रिगेड ही लापता हो गई. जो पिछले 5 सालों से नहीं मिली है.
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ग्वालियर: वैसे तो ग्वालियर नगर अपने घोटालों और अनियमितताओं के लिए सदैव ही चर्चाओं में रहती है लेकिन इस बार नगर निगम के अफसरों ने जो कांड किया है. उसकी चर्चा तो ग्वालियर से लेकर भोपाल तक है. दरअसल इस बार नगर निगम की एक फायर ब्रिगेड ही लापता हो गई. इतना ही नही नगर निगम पांच साल से लापता इस गाड़ी को खोजने के लिए न तो खुद कोई प्रयास किया और न पुलिस की मदद ली बल्कि लगातार इसका बीमा करा रहे है.
बता दें कि ग्वालियर नगर निगम के फायर डिपार्टमेंट से एक फायर ब्रिगेड गाड़ी पिछले 5 वर्षों से गायब है. न तो निगम अधिकारियों को गाड़ी के संबंध में कोई जानकारी है और ना ही गाड़ी के गायब होने की एफआईआर कराई गई है. खास बात यह है कि जो गाड़ी 2019 से गायब है, उसे गाड़ी का वर्ष 2022 में बीमा कराया गया.
आर्थिक हानि पहुंचाई गई
दरअसल स्वयंसेवक अधिकारी कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र योगी द्वारा यह मामला अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है. नरेंद्र योगी का आरोप है कि नगर निगम ग्वालियर के फायर डिपार्टमेंट द्वारा बिना टेंडर प्रक्रिया अपने फायर ब्रिगेड गाड़ी को बेचकर नगर निगम कोष में ही पैसा नहीं जमा किया गया. इतना ही नहीं गाड़ी का बीमा करा कर नगर निगम को आर्थिक हानि भी पहुंचाई गई है. जनता के पैसे से खरीदी गई फायर ब्रिगेड की गाड़ी संख्या 7924 के गायब होने का मुद्दा ग्वालियर नगर निगम परिषद के ठहराव क्रमांक 43 में दिनांक 17 मई 2023 को उठ चुका है और परिषद द्वारा इस मामले में दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए थे लेकिन न तो गाड़ी वापस मिली और ना ही दोषियों के खिलाफ कोई FIR दर्ज हुई है.
गाड़ी ढूंढने की कोशिश जारी
इस मामले में जब पडताल करते हुए ने ग्वालियर नगर निगम के फायर डिपार्टमेंट के प्रभारी अपर आयुक्त अतिबल सिंह यादव से संपर्क साधा तो उनक कहना हैं कि ग्वालियर नगर निगम के फायर डिपार्मेंट के पास 28 वाहन है. जिसमें 20 वर्किंग वाहन है. गाडी संख्या सी पी एच -7924 जो कि 1981 मॉडल नंबर की गाड़ी है. लेकिन उनके फायर डिपार्टमेंट में पदस्थ होने से पहले से ही यह गाड़ी गायब है और उसे ढूंढने के काफी प्रयास किया जा रहे हैं.
जब गाड़ियों की नीलामी करके उसका संधारण भी कराया गया था लेकिन नीलामी में यह गाड़ी नहीं रखी गई थी. उन्होंने स्वीकार किया कि उस समय फायर विभाग के नोडल ऑफिसर श्रीकांत कांटे द्वारा इस गाड़ी का बीमा कराया गया था और जब मामला परिषद में उठाया गया था तो इसका जवाब भी उनके द्वारा प्रस्तुत कराया गया था. फिलहाल मामले की जांच पड़ताल की जा रही है. क्योंकि अभी मामले की जांच हो रही है इसलिए एफ आई आर दर्ज नहीं कराई गई है.
रिपोर्ट - करतार सिंह राजपूत