कैसे पढ़ेंगे बच्चे? सरकारी स्कूल का भवन ही नहीं, 1997 से खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे छात्र
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh994080

कैसे पढ़ेंगे बच्चे? सरकारी स्कूल का भवन ही नहीं, 1997 से खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे छात्र

एक तरफ शिक्षा की गुणवक्ता को सुधारने के लिए प्राइवेट स्कूलो की होड़ मची हुई है. अशासकीय स्कूल अच्छे भवनो में संचालित है तो दूसरी ओर शासकीय स्कूल खस्ताहाल है. 

सरकारी स्कूल

संजय लोहानी/रीवा: एक तरफ शिक्षा की गुणवक्ता को सुधारने के लिए प्राइवेट स्कूलो की होड़ मची हुई है. अशासकीय स्कूल अच्छे भवनो में संचालित है तो दूसरी ओर शासकीय स्कूल खस्ताहाल है. रीवा शहर के बीच में एक ऐसा प्राथमिक स्कूल है, जो 1997 से भवन विहीन है और खुले आसमान के नीचे संचालित हो रहा है. स्कूल में दो शिक्षक और 14 बच्चे हैं, लेकिन ना तो यहां शिक्षक के बैठने की जगह है और ना ही छात्रों के पढने की, खेलकूद के मैदान की बात तो दूर है. 

दमोह में खूनी संघर्ष! आपस में भिड़े दो पेट्रोल पंप मालिक, जमकर लाठियां और लोहे के पाइप बरसाए

गौरतलब है कि कोरोना काल मे 18 माह तक स्कूलों की छुट्टी रही लंबे समय बाद अब प्राइमरी के छात्रों के लिए भी स्कूल खुल गए है. लेकिन सरकारी स्कूलों की हालत में को सुधार नहीं  हुआ. आज भी उनकी हालत दयनीय है. बच्चों को जो माहौल मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है. एक तरफ स्कूलों में शिक्षा की गुणवक्ता को सुधारने के लिए प्रतिभा पर्व जैसे आयोजन कराये जा रहे लेकिन फिर भी जिले में कई स्कूलें ऐसी है. जहां की हालत खराब है फिर भी इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा.

24 साल से मैदान में लग रहा स्कूल
शहर के हरिजन बस्ती मैदानी में स्थित प्राथमिक पाठशाला इसे देखकर सहज यकीन करना मुश्किल है लेकिन यही सच है. यह स्कूल 8 जनवरी सन 1997 से वैकल्पिक विद्यालय के नाम से हरिजन बस्ती मैदानी में स्कूल संचालित है. लेकिन 24 साल बीत जाने के बाद भी इस स्कूल को भवन नसीब नहीं हुआ और तब से आज तक भवन विहीन है. जो कभी खुले आसमान के नीचे लगती है, तो कभी पेड़ के नीचे और जब कहीं जगह नहीं मिली तो इस स्कूल में पढ़ाने वाली मैडम ने अपने घर के बाहर बने आंगन में ही स्कूल लगाना शुरू कर दिया. जहां पर बच्चे पढ़ते हैं. 

दो शिक्षक 14 बच्चे
पहली से 5वीं तक के इस स्कूल में 14 बच्चे वर्तमान समय में पढ रहे हैं. और इन्हें पढाने का जिम्मा दो शिक्षको पर हैं. हालांकि इसमें पहले छात्रों की संख्या ज्यादा थी लेकिन इस स्कूल की बदहाल व्यवस्था के चलते परिजनों ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए दूसरे स्कूलों में उनका एडमिशन करा दिया. 

MP Weather Today: अगले 5 दिनों तक बारिश का अलर्ट, जानें किन जिलों में बरसेगा पानी

बच्चों का ध्यान भटक जाता हैं
वहीं शिक्षक कृपाशंकर चतुर्वेदी का कहना हैं कि स्कूल मे बच्चों के पढ़ने के आसार दिखाई दे रहे है लेकिन बच्चे टीचर की बात सुनें या फिर पढ़ाई में मन लगाये? जब सामने सड़क है और ब्लैक बोर्ड के बगल में बकरियां बंधी हो तो पढ़ाई कैसे होगी. थोड़ा इधर उधर का नजारा भी देखा ही जाएगा. बच्चों के पढ़ने के लिए जब भवन ही नहीं है तो शौचालय और बाकी व्यवस्थाएं कैसे होगी. अब जब स्कूल का यह हाल है तो बच्चों का भविस्य कैसा होगा इसका महज अंदाजा लगाया जा सकता है.

WATCH LIVE TV

Trending news