कैबिनेट मंत्री पटेल ने क्यों कहा, '...पैरों की धूल भी नहीं पटवारी, अपमान महंगा पड़ेगा'
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कैबिनेट मंत्री पटेल ने क्यों कहा, '...पैरों की धूल भी नहीं पटवारी, अपमान महंगा पड़ेगा'

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में 3 जुलाई को आए मोहन सरकार के पहले बजट के बाद विपक्ष लगातार हमलावर है. आज पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा पर करारा हमला बोला.

कैबिनेट मंत्री पटेल ने क्यों कहा, '...पैरों की धूल भी नहीं पटवारी, अपमान महंगा पड़ेगा'

MP Politics: मध्य प्रदेश में पिछले दिनों पेश किए गए 2024-25 बजट पर सियासत नहीं रुक रही है. आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा पर निशाना साधा. पीसीसी चीफ ने CAG रिपोर्ट के आधार पर वित्त मंत्री को घटिया बताया और उनसे इस्तीफे की मांग की. इधर, पटवारी के बयान पर पलटवार करते हुए कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि दलित का अपमान महंगा पड़ेगा.

पटवारी ने कहा, मैं आरोप लगाता हूं कि वित्त मंत्री का प्रबंधन घटिया है और यह बात मैं सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर कह रहा हूं, जिसमें कहा गया है कि वित्तीय प्रबंधन घटिया स्तर का है. बजट का सही प्रबंधन नहीं किया गया है. इसलिए वित्त मंत्री से इस्तीफा मांगता हूं. अगर वित्त मंत्री इस्तीफा न दें तो मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए.'

प्रहलाद पटेल बोले दलित का अपमान महंगा पड़ेगा
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के घटिया वाले बयान पर कैबिनेट प्रहलाद पटेल ने पलटवार किया. उन्होंने कहा, मैं जीतू पटवारी को सलाह नहीं दूंगा, लेकिन जीतू पटवारी को यह राय जरुर दूंगा कि संसदीय भाषा का उपयोग करना सीखें. मैं इसलिए इस बात पर कोई जवाब नहीं देना चाहता क्योंकि उनके वरिष्ठ नेताओं का भी यही हाल है. जीतू पटवारी जगदीश देवड़ा के पैरों की धूल भी नहीं है. दलित का अपमान करना ये बयान जीतू पटवारी को बहुत महंगा पड़ेगा.

3 जुलाई को आया था बजट
मध्य प्रदेश में 3 जुलाई को बजट पेश किया गया था. डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने यह बजट पेश किया. सरकार ने कुल 3.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया. इसके बाद विधानसभा का मानसून सत्र 5 दिन पहले ही 5 जुलाई को खत्म हो गया. मानसून सत्र 1 जुलाई से शुरू हुआ था. इस दौरान सदन में नर्सिंग घोटाले को लेकर जमकर हंगामा हुआ. मानसून सत्र में 14 बैठकें होनी थी. 5 बैठक में ही खत्म हो गया. सत्र चर्चा की बजाए शोर-शराबा की भेंट चढ़ा. इस दौरान 9 विधेयक भी सभी की सहमति से पारित हुए. उधर इस सत्र में विपक्ष में लोकसभा चुनाव में मिली हार का दर्द नजर आया. विपक्ष ने मुद्दों पर चर्चा करने के बजाए हंगामे को अपना हथियार बना लिया था.

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