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आशीष श्रीवास/बालाघाटः पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आज बालाघाट के किरनापुर पहुंचे. यहां वह पूर्व मंत्री स्वर्गीय लिखीराम कावरे की 22वीं पुण्यतिथि के समारोह में शामिल हुए. इस दौरान कमलनाथ के साथ उनके बेटे सांसद नकुलनाथ भी मौजूद रहे. बता दें कि लिखीराम कावरे पूर्व की दिग्विजय सरकार में मंत्री थे और नक्सलियों ने साल 1999 में उनकी निर्मम हत्या कर दी थी.
क्यों हुई थी मंत्री लिखीराम कावरे की हत्या?
मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित रहा है. अब भले ही बालाघाट में नक्सल गतिविधियां बेहद सीमित हो गई हैं लेकिन एक वक्त था, जब यह नक्सलियों का खूब आतंक था. साल 1998 में मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार सत्ता में आई थी. इस सरकार में लिखीराम कावरे को परिवहन मंत्री बनाया गया था. लिखीराम कावरे बालाघाट के एक गांव में रहते थे. 15 दिसंबर 1999 के दिन बड़ी संख्या में लिखीराम कावरे के घर को घेर लिया और कावरे को घर से निकालकर बेरहमी से कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला गया था.
ऐसे हुआ था हत्या का खुलासा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लिखीराम कावरे की हत्या के कई साल बाद साल 2015 में कुख्यात माओवादी दिलीप गुहा पुलिस के हाथ लगा था. दिलीप गुहा से पूछताछ में लिखीराम कावरे की हत्या की वजह का खुलासा हुआ था. गुहा ने बताया कि 2 दिसंबर 1999 को ही माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के तीन सदस्यों श्याम, महेश और मुरली की एनकाउंटर में मौत हुई थी. इन तीनों की मौत का बदला लेने के लिए ही नक्सलियों ने लिखीराम कावरे की हत्या की थी.
कमलनाथ के थे करीबी लिखीराम कावरे
लिखीराम कावरे को कमलनाथ का करीबी माना जाता था. लिखीराम की हत्या के बाद कमलनाथ ने लिखीराम कावरे की बेटी हिना को अपनी बेटी माना था. फिलहाल हिना कांग्रेस विधायक हैं. हिना कावरे पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष भी हैं. कमलनाथ ने आज किरनापुर पहुंचकर लिखीराम कावरे को श्रद्धांजलि दी. कमलनाथ ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है. कमलनाथ ने कावरे को याद करते हुए कहा कि कावरे उनके साथ रहे. आज वो रहते तो प्रदेश का नक्शा कुछ और होता. कावरे के नहीं रहने से बहुत बड़ी क्षति पहुंची है.