मध्यप्रदेश ने लिया स्वास्थ्य सेवाओं और संस्थाओं के "कायाकल्प" का संकल्प
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मध्यप्रदेश ने लिया स्वास्थ्य सेवाओं और संस्थाओं के "कायाकल्प" का संकल्प

देश की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य सेवाओं में सम्पूर्ण सुधार का संकल्प लिया है. 

मध्यप्रदेश ने लिया स्वास्थ्य सेवाओं और संस्थाओं के "कायाकल्प" का संकल्प

भोपाल: स्वास्थ्य एक ऐसी आवश्यकता है जो हर मनुष्य के जीवन में प्राणवायु के समान मूल्यवान है. यही वजह है कि मध्यप्रदेश में भी स्वास्थ्य सेवा प्रदाय तंत्र को पिछले लगभग दो दशक में सुदृढ़ बनाया गया है. एक बार स्वास्थ्य सेवा प्रदाय तंत्र की आधारभूत संरचना स्थापित कर लेने के बाद इसके सम्यक्, सुचारू और निर्बाध संचालन की आवश्यकता होती है.

देश की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य सेवाओं में सम्पूर्ण सुधार का संकल्प लिया है. नाम दिया है सम्पूर्ण कायाकल्प अभियान. इस अभियान में प्रदेश सरकार अपनी स्वास्थ्य संस्थाओं एवं सेवाओं को दुरुस्त बनाते हुए उनमें आवश्यक विस्तार भी करेगी. न सिर्फ़ नागरिकों के लिए शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं का वातावरण बदला जाएगा बल्कि अत्याधुनिक तकनीकों, चिकित्सा उपकरणों और अधोसंरचना के माध्यम से श्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएंगी.

अभियान में प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाओं की अधोसंरचना का विकास एवं भवन रख-रखाव का कार्य समय-सीमा में किये जाने का संकल्प है. चिकित्सा उपकरण और अस्पताल के फर्नीचर की उपलब्धता, स्वास्थ्य संस्थाओं में जाँच -परीक्षण सेवाओं एवं दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता, डायलिसिस एवं कैंसर की नई उपचार सेवाओं का विकास, ब्लड बैंक एवं ब्लड स्टोरेज का सुदृढ़ीकरण, विशेषज्ञों की कमी को दूर करने के लिये टेली मेडिसिन सेवाओं का विस्तार, रोगियों के लिए हितग्राहीमूलक सेवाओं का विकास, खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला की स्थापना और स्वास्थ्य सेवाओं में जन-भागीदारी को बढ़ावा देने जैसे कार्यों को मिशन मोड में कार्य किया जाएगा.

वर्तमान में प्रदेश में 52 जिला चिकित्सालय, 119 सिविल अस्पताल, 356 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 1,266 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 10 हजार 287 उप स्वास्थ्य केंद्र का एक सशक्त नेटवर्क है. इन्हीं के माध्यम से नागरिकों को विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ केंद्र एवं प्रदेश शासन की स्वास्‍थ्‍य से जुड़ी विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है. अभियान के अंतर्गत स्वास्‍थ्‍य संस्थाओं के निर्माण तथा उन्नयन कार्यों और नवीन सेवाओं एवं उपकरणों की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में लगभग चार गुना की बढ़ोत्तरी करते हुए इस वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य बजट बढ़ाकर कुल 43486.83 लाख किया गया है. इस राशि में से विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं के अधोसंरचना विकास कुल 14639.69 लाख रुपए की राशि व्यय की जाएगी.

सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों के समय की बचत के लिए भी राज्य सरकार गम्भीर है. मरीज़ों और उनके परिजनों की सहायता के लिए Help Desk/ सहायता केंद्र की स्थापना भी की जा रही है.  इसके अलावा अस्पताल में प्रतीक्षा का समय कम करने के लिये Queue Management System एवं BMI Scanning मशीन की स्थापना भी की जाएगी.

प्रदेश में सीटी स्क़ेन, सोनोग्राफ़ी, डिजिटल एवं कंप्यूटराइज्ड एक्स-रे मशीनों जैसे अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं. पैथालोज़ी जांच सेवाओं के अंतर्गत ज़िला चिकित्सालयों में हीमेटोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, हॉर्मोनल जांच, कैंसर मार्कर आदि जैसी उन्नत जांचों की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा चुकी है. हब एंड स्पोक मॉडल से सी.बी.सी., किड्नी और लिवर फंक्शन टेस्ट, मधुमेह जांच, सीरम कोलेस्ट्राल आदि जैसी अत्याधुनिक जांचों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. साथ ही एबीजी मशीन, ईटीओ स्टर्लायजर, एनेस्थेसीआ  वर्क स्टेशन, हाइड्रोलिक ओ टी टेबल, ओपीडी किट (स्टेथॉस्कोप, डिजिटल थर्मामीटर, पर्क्यूशन हैमर, एलईडी टॉर्च, मेजरिंग टेप, ओटोस्काप, ट्यूनिंग फोर्क) एवं बीएमआई मशीन जैसे अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं. अस्पताल में मरीज़ों के लिए फ़र्नीचर,चादर, तकियों, गद्दे तथा उनके कवर भी अब नए होंगे.

डायलिसिस की सुविधा पाने के लिए प्रतीक्षा न करना पड़े, इसके लिए चरणबद्ध ढंग से सुविधा का विस्तार किया जा रहा है. अब जिला चिकित्सालयों में न्यूनतम 05 डायलिसिस मशीन उपलब्ध कराई जायेंगी तथा इन्हें विश्व स्तरीय मापदंड के अनुरूप विकसित किया जायेगा. साथ ही राज्‍य स्‍तरीय डायलिसिस नेटवर्क के द्वारा रोगियों को फोन के माध्यम से अपॉइन्ट्मेन्ट मिल सकेगा. वर्तमान में प्रदेश में 194 डायलिसिस मशीन उपलब्ध हैं तथा 102 नई मशीन क्रय की जा रही हैं.

कैंसर के मरीज़ों की सुविधा के लिए 51 जिला चिकित्सालयों में डे-केयर कैंसर कीमोथेरपी सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया गया है. वर्तमान में 51 जिला चिकित्सालयों में प्रति चिकित्सालय कैंसर कीमोथेरेपी के लिये 04 बेड्स आरक्षित हैं तथा प्रति सिविल अस्पताल 02 बेड आरक्षित किए जा रहे हैं. इस प्रकार कुल आरक्षित बेड्स की संख्या 306 हो जायेगी. कैंसर कीमोथेरपी सुविधा प्रदान करने के लिये चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है. कैंसर के उपचार के लिये आवश्यक औषधियों की संख्या में वृद्धि कर कुल 43 प्रकार की औषधियों का प्रावधान किया गया है. 

वर्तमान में प्रत्येक स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों का परामर्श टेलीमेडिसिन सुविधा ई-संजीवनी एवं Hub and Spoke Model से प्रदान किया जा रहा है, जो 550 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है. अभियान के अंतर्गत अब प्रदेश के शेष 652 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी यह सुविधा जल्दी ही मुहैया करायी जायेगी. टेलीमेडिसिन के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सा परामर्श हेतु टोल फ्री हेल्‍प लाईन नंबर भी जल्दी ही उपलब्ध कराया जा रहा है

विभिन्न स्तर की स्वास्थ्य संस्थाओं में मरीज़ों को निशुल्क मिलने वाली आवश्यक औषधियों की संख्या बढ़ाई जा रही है. पहले ज़िला अस्पताल में कुल 295 तरह की दवाएं मिलती थीं, जिनकी संख्या बढ़ाकर 530 की गई है. इसी तरह सिविल अस्पताल में दवाओं की संख्या 270 से बढ़ाकर 448, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 253 से बढ़ाकर 273, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (शहरी एवं ग्रामीण) तथा मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक स्तर पर 204 से बढ़ाकर 299 तथा उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर उपलब्ध आवश्यक दवाओं की संख्या 97 से बढ़ाकर 126 की गई है.

प्रदेश में ब्लड सेपरेशन इकाइयों की संख्या में भी वृद्धि की जा रही है जिससे खून के तीनों तत्वों प्लेटलेट, प्लाज़्मा तथा पी सी वी के माध्यम से अधिकाधिक मरीज़ों को लाभ पहुंचाया जा सकेगा. वर्तमान में प्रदेश के 11 जिलों में ब्लड सेपरेशन यूनिट उपलब्ध है। अभियान के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 18 तथा वर्ष 2023-24 में 25 नवीन यूनिट की स्थापना की जाएगी.

इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेश शासन पूरी तरह से संकल्पित है. यही कारण है कि अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने पर संबंधित जिले की जिला स्वास्थ्य समिति को पुरस्कृत करने का भी प्रावधान किया गया है. जिले का चयन, समय-सीमा में अभियान के क्रियान्वयन, जन-भागीदारी एवं जन-सहयोग की सुनिश्चितता, गुणवत्तापूर्ण कार्य एवं मरीजों एवं जन-प्रतिनिधियों द्वारा फीडबैक के आधार पर किया जाएगा. कुल मिलाकर अब प्रदेश अपना स्वास्थ्य परिवेश बदलने के लिए तत्पर और तैयार है. उम्मीद है शासन का संकल्प और नागरिकों का सहयोग इस कायाकल्प संकल्पना को साकार करेगा.

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