Ujjain: महाकाल मंदिर में मोबाइल बैन, नियम तोड़ने वालों पर लगेगा फाइन, जानिए पूरी व्यवस्था
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Ujjain: महाकाल मंदिर में मोबाइल बैन, नियम तोड़ने वालों पर लगेगा फाइन, जानिए पूरी व्यवस्था

Ujjain Mahakal Mandir: महाकाल मंदिर में मंगलवार से मोबाइल औ बैग पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है. आज पहले ही दिन कुछ श्रद्धालु चालाकी से अपना मोबाइल अंदर ले गए तो उन पर तुंरत दो-दो सौ रुपए का फाइन लगा.

Ujjain: महाकाल मंदिर में मोबाइल बैन, नियम तोड़ने वालों पर लगेगा फाइन, जानिए पूरी व्यवस्था

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में मंगलवार से मोबाइल व बैग ले जाने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है. पहले दिन क्या कुछ परेशानियों का सामना श्रद्धालुओं को करना पड़ा श्रद्धालु कितने खुश नजर आए और यह नियम किन-किन पर लागू होगा. कितनी सख्ती से पालन करवाया जाएगा. आपको इस खास रिपोर्ट में बताते है. 

बता दें कि महाकाल मंदिर में आज मोबाइल बैन का पहला दिन रहा. आज पहले ही दिन 2 दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं को उनकी चालाकी खुद पर भारी पड़ गई. मोबाइल अंदर लेकर गए और उसका स्पॉट फाइन 200 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से मंदिर समिति ने बना दिया. वहीं कुछ श्रद्धालुओं ने कहा कि काफी अच्छी व्यवस्था है. भगवान के दर्शन कम से कम आराम से करने को मिलेंगे. मोबाइल दूर रहेगा तो वहीं कुछ श्रद्धालु ने कहा कि जो दो से तीन काउंटर अलग बनाए हैं. उनको भी जहां श्रद्धालु लाइन में लगे हैं वहीं कर देना चाहिए, जिससे अलग-अलग खड़ा नहीं रहना पड़े.

टोकन गुम होने पर यह करें श्रद्धालु!
श्री महाकालेश्वर मंदिर में मोबाइल जमा करवाने के बाद मिलने वाली रसीद टोकन अगर गुम होता है, तो श्रद्धालु मंदिर प्रशासक कार्यालय में इसकी शिकायत करें, जहां पर मोबाइल से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाएं. उदाहरण के तौर पर मोबाइल का कलर मोबाइल का ईएमआई बिल मॉडल नंबर व अन्य मंडी समिति पूरे डाटा को सॉफ्टवेयर में वेरीफाई करेगी और सुरक्षित रूप से उसका सामान मोबाइल उसे लौटा दिया जाएगा.

मोबाइल बैन से खड़ी होगी ये परेशानी
एक तरफ मोबाइल व बैग प्रतिबंध व्यवस्था शुरू हुई, वहीं दूसरी तरफ कई परेशानियां भी खड़ी हो गई. जैसे मोबाइल जमा करना व मोबाइल लेना इस दौरान अधिक भीड़ एक जगह एकत्रित होना. मोबाइल जमा करने के बाद रसीद गुम होने पर कई समय तक परेशान होना मोबाइल जमा होने के कारण अगर कोई व्यक्ति परिवार का इधर-उधर भीड़ में गुम हो जाता है तो उसको ढूंढने में समय बिगड़ना, खासकर पंडे पुजारियों के लिए यह समस्या खड़ी हो सकती है, क्योंकि पंडे पुजारियों के जजमानों से वह सीधा मोबाइल से संपर्क नहीं कर पाएंगे दक्षिणा ऑनलाइन नहीं ले पाएंगे. हर कार्य अब नगद राशि के रूप में करना होगा. वैसे कई सारी समस्याएं भी अब देखने को मिलेगी.

क्या कुछ है व्यवस्थाएं जानिए।
मोबाइल व बैग रखने के लिए मंदिर के मानसरोवर द्वार, 4 व 5 नंबर प्रोटोकॉल प्रवेश द्वार और मंदिर प्रशासक कार्यालय के सामने करीब 10,000 लॉकर व्यवस्था की गई है. यह प्रतिबंध मीडिया, मंदिर कर्मी, पुजारियों सहित तमाम VIP, VVIP व मंदिर के जिम्मेवारों पर भी लागू होता है. अगर किसी को मोबाइल अंदर लेकर जाना है तो मंदिर प्रशासक कार्यालय अनुमति लेना होगी. वहीं अल सुबह होने वाली भस्मार्ती में मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि ई-एंट्री पास दिखाने के लिए मोबाइल की जरूरत होती है. वहीं श्री महाकाल महालोक में मोबाइल ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. आपको बता दें यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल है. श्रद्धालु परिवार के साथ आया है तो एक व्यक्ति एक साथ सबके मोबाइल देगा. उसी व्यक्ति का फोटो क्लिक होगा और एक बारकोड मिलेगा. वहीं रसीद में टोकन नंबर भी लिखा मिलेगा उस रसीद को आते समय काउंटर पर दिखाएगा तो वापस उसे अपना मोबाइल का बैग मिल जाएगा. इससे श्रद्धालुओं का डाटा भी सॉफ्टवेयर में अपडेट हो सकेगा और कोई परेशानी का सामना किसी को नहीं करना पड़ेगा.

मोबाइल प्रतिबंध होने के बाद अब मंदिर के कई विवाद दब जाएंगे!
दरअसल श्री महाकालेश्वर मंदिर में आए दिन श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने के कारण भस्म आरती व प्रोटोकॉल दर्शन के नाम पर कालाबाजारी की घटनाएं सामने आती थी. जागरूक श्रद्धालु तत्काल मोबाइल से वीडियो बनाकर जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंचा देते थे या किसी मीडिया कर्मी को दे देते थे. ऐसे में अब श्रद्धालुओं के पास मोबाइल नहीं रहेगा तो उनके साथ जो घटनाएं घट रही है. वह सामने नहीं आ सकेगी तो यह भी एक बड़ा सवाल है. साथ ही कई घटनाएं ऐसी भी आती थी कि धक्का-मुक्की के कारण श्रद्धालु में आपसी विवाद हुआ, भीड़ में दब गए, कई तरह के विवाद अब बाहर नहीं आ सकेंगे. इसको लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा है कि तमाम तरह की विवाद से बचने के लिए मोबाइल पर प्रतिबंध लगाया गया है, बजाय हर समस्या का निराकरण करने से, आमजन में यह भी चर्चा है कि मंदिर समिति अपने मैनेजमेंट में फेल है, जिसकी वजह से इस तरह का आदेश निकाला है.

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