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Morena firing incident: मुरैना के लेपा गांव में कल हुई गोलीबारी में 6 लोगों की मौत के मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जब यह मृतक परिवार अहमदाबाद से वापस गांव आ रहा था. तब गांव जाने से पहले सिहोनिया थाने पुलिस को लेने गया था और थाने पर 1 घंटे तक इस परिवार ने पुलिस के साथ चलने की गुहार लगाई लेकिन पुलिस इनके साथ नहीं गई. जिसके बाद इतना बड़ा गोली कांड हुआ.
बता दें कि पुलिस की गलती यहीं नहीं रुकी गोलीकांड के बाद फरियादी पक्ष के लोग थाने जाकर पुलिस से गुहार लगा रहे हैं कि गांव में गोलियां लगने से कई लोग घायल हैं, गांव चलो लेकिन उसके बाद भी पुलिस समय से गांव नहीं पहुंची और थाने में बाइक पर बैठा आरक्षक कह रहा है कि हमारे पास कोई 50 आदमी नहीं है. थाने में 10 लोगों की पोस्टिंग है. सुबह-सुबह थाने में कोई नहीं रहता और अगर लोग मरे तो मर जाने दो. पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही के चलते 6 लोगों की इस गोलीकांड में जान चली गई.
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घटना पर सवाल हो रहे खड़े
अब इस पूरे मामले में पुलिस के ऊपर 2 सवाल खड़े होते हैं. पहला अगर पहले पुलिस साथ में गई होती तो यह गोलीकांड नहीं होता. दूसरा गोली कांड के बाद समय रहते पुलिस पहुंच जाती तो शायद घायलों का इलाज जल्दी हो जाता तो शायद कुछ लोगों की जान बच सकती थी लेकिन देर से इलाज मिलने के कारण अधिक बिल्डिंग के चलते इतने लोगों की जान गई.
अंतिम संस्कार से किया मना
मुरैना के लेपा गांव में हुई गोलीबारी में मृत 6 लोगों के सब पोस्टमार्टम के बाद देर शाम गांव पहुंचे. जहां उनके परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. परिजनों की मांग है कि आरोपियों के घर तोड़े जाएं उनके ऊपर इनाम घोषित कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए और मृतकों को आर्थिक सहायता दी जाए. इन मांगों को लेकर मृतको के परिवारजनों ने सभी 6 शवों का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया और खबर लिखे जाने तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ है.