Vijay Anand Maravi Biography: मध्य प्रदेश का बिछिया विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक बदलावों के बावजूद मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है. वहीं भाजपा के उम्मीदवार विजय आनंद मरावी को स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
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MP Assembly Election 2023 Candidate Profile: अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को टैक्स के रूप में सरकार को देने के बाद आमजन सरकार से जीवन जीने की पांच मूलभूत आवश्यकताओं सड़क बिजली पानी स्वास्थ्य सफाई की सुविधाओं की उम्मीद करती है, लेकिन मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के राज में इन मूलभूत आवश्यकताओं की कमी और अनदेखी, देखी जा सकती है. मण्डला जिले के विधानसभा वार्ड क्रमांक 105 बिछिया विधानसभा से फिलहाल कांग्रेस के विधायक नारायण सिंह पट्टा है. ये इलाका विकास से कोसों दूर नजर आता है. सड़क बिजली पानी सफाई और स्वास्थ्य की स्थितियां बदतर नजर आती है, कोई बीमार हो जाए तो अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है. इमरजेंसी पड़ जाए तो एम्बुलेंस पहुंचने के लिए सड़के नहीं, शिक्षा और रोजगार तो दूर दूर तक नहीं है. हालांकि, इस बदहाली का कारण विधायक का कांग्रेस से होना बताया जाता है. परन्तु भाजपा के विधायक और वर्तमान में इस जिले से बीजेपी के सांसद और केंद्र में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के होने के बावजूद छेत्र पिछड़ा हुआ है. वर्ष 2013-2018 में यहां बीजेपी का विधायक और केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी इलाका पिछड़ा ही है और लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.
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भाजपा प्रत्याशी आनंद मरावी का विरोध
वहीं ,अब जब बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है तो बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोग भी उम्मीदवार को लेकर चिंतित हैं. भाजपा कार्यकर्ता जहां घोषित प्रत्याशी विजय आनंद मरावी को हेलीकॉप्टर प्रत्याशी बता रहे हैं, नाराजगी जता रहे हैं और स्थानीय कर्मठ प्रत्याशी की मांग कर रहे हैं. वहीं, आम लोगों का भी कहना है कि वे भाजपा के घोषित प्रत्याशी को जानते तक नहीं हैं. ऐसे में मौजूदा बीजेपी प्रत्याशी का अपना तर्क है. वह खुद को बाहरी नहीं मानते बल्कि अपने परिवार और खुद को यहां का मूल निवासी बताकर विरोधियों के तर्क को खारिज करते हैं. दरअसल, बीजेपी ने इस विधानसभा से 40 साल के विजय आनंद मरावी (Bichiya BJP Candidate Vijay Anand Maravi) को टिकट दिया है. विजय पेशे से डॉक्टर हैं और मेडिकल कॉलेज, जबलपुर में असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट के पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आए हैं. हालांकि, विजय की प्राथमिक शिक्षा बिछिया में ही हुई, लेकिन उच्च शिक्षा और नौकरी के कारण वे वर्षों से क्षेत्र से बाहर हैं और अचानक भाजपा उम्मीदवार के रूप में लौट आए हैं. यही वजह है कि भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता और जो लोग भाजपा में हैं सालों से सेवाएं देने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता नाराज हैं. वहीं, दूसरी ओर मतदाता उन्हें पहचानते तक नहीं हैं. ऐसे में पार्टी के अंदर ही उम्मीदवार को लेकर विरोध हो रहा है, वहीं बीजेपी खुद लामबंद होकर उम्मीदवार का विरोध कर रही है. जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है. 2013 में इस सीट से बीजेपी के पंडित सिंह धुर्वे विधायक थे, जबकि 2018 में कांग्रेस के नारायण सिंह पट्टा ने बीजेपी के शिवराज शाह को करीब 20 हजार वोटों के अंतर से हराया था.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी प्रभाव
पिछले चुनावों में इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी बेहतर प्रदर्शन किया, जो एक बार फिर दोनों ही प्रमुख दलों की नाक में दम करेगा. बिछिया विधानसभा मुख्यतः कृषि प्रधान ओर आदिवासी, जनजातीय बहुल क्षेत्र है, वहीं छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा क्षेत्र है. नक्सली समस्या भी इस क्षेत्र की प्रमुख समस्या है. क्षेत्र मुख्यतः धान ओर गेंहू के साथ वनोपजों पर निर्भर है. जबकि उद्योग धंधे न होने के चलते बेरोजगारी ओर पलायन इस छेत्र की बड़ी समस्या है.
बिछिया विधानसभा के मतदाता
मतदाताओं की संख्या की बात करें तो यहां करीब 2 लाख 43 हजार 487 मतदाता हैं, जिसमें 1 लाख 20 हजार 750 पुरुष तो 1 लाख 22 हजार 725 महिला मतदाता हैं और 3 अन्य हैं. इस क्षेत्र में कुल 170 ग्राम पंचायतें हैं तो कुल मतदान केंद्र 304 उक्त विधानसभा में बिछिया, घुघरी ओर मवई विकासखंड शामिल हैं. बता दें कि बिछिया विधानसभा क्षेत्र के सियासी हालात. बिछिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी किसी राजनीतिक दल पर पूरी तरह भरोसा नहीं जताया. इस क्षेत्र का इतिहास रहा है कि मतदाता ने किसी एक दल को दोबारा नहीं चुना है. यहां हर पांच वर्षों में मतदाताओं ने पार्टी बदलकर विधायक चुना है.
रिपोर्ट:विमलेश मिश्रा(मंडला)