MP Budget 2023: शिवराज सरकार 1 मार्च को पेश करेगी बजट, सत्र से पहले क्यों परेशान है विधानसभा सचिवालय?
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MP Budget 2023: शिवराज सरकार 1 मार्च को पेश करेगी बजट, सत्र से पहले क्यों परेशान है विधानसभा सचिवालय?

MP Budget 2023: मध्य प्रदेश का बजट सत्र 27 फरवरी से शुरू (budget session) हो रहा है. इसमें 1 मार्च को वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा (FM Jagdish Deora) शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) का बजट पेश करेंगे. इससे पहले पुराने आश्वसनों को लेकर विधानसभा सचिवालय विभागों को रिमाइंडर भेजकर परेशान है.

MP Budget 2023: शिवराज सरकार 1 मार्च को पेश करेगी बजट, सत्र से पहले क्यों परेशान है विधानसभा सचिवालय?

MP Budget 2023: भोपाल। लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश में पेश होने वाले बजट की तारिख (MP Budget Date) का ऐलान हो गया है. जारी अधिसूचना के अनुसार वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा (FM Jagdish Deora) 1 मार्च को शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) का बजट पेश करेंगे. इसमें वो चुनाव से पहले जनता को लुभाने की पूरी कोशिश करेंगे. बजट पेश हो इससे पहले विधानसभा सचिवालय (Vidhansabha Sachivalay) विभागों को रिमाइंडर भेजकर परेशान है. क्योंकि पिछले सत्रों के कई आश्वासन पेंडिंग हैं.

क्या है सत्र की अधिसूचना?
विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, बजट सत्र 27 फरवरी को राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होगा और ये 27 मार्च तक चलेगा. इस दौरान 1 मार्च को विधानसभा के पटल पर शिवराज सरकार की ओर से वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बजट पेश करेंगे.

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27 फरवरी से शुरू होगा बजट सत्र
- 27 मार्च तक यानी कुल एक महीने चलेगा सदन
- सत्र में सदन की कुल 13 बैठकें होंगी
- सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होगी
- 1 मार्च को विधानसभा के पटल सरकार बजट रखेगी
- 15 वीं विधानसभा का यह 14 वां सत्र होगा

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आश्वासनों पर सचिवालय परेशान
एक तरह शिवराज सरकार बजट की तैयारियों में लगी है. वहीं दूसरी तरफ विधानसभा सचिवालय सरकार विभागों से परेशान है. पिछले सत्रों में दिए गए आश्वासनों को निराकरण नहीं किए गए. इसके लिए सचिवालय लगातार विभागों को रिमाइंडर भेज रहे है. लेकिन, सत्र समाप्त होने के बाद विभाग कुछ सीरियस नहीं ले रहे हैं.

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि कई आश्वासन सालों से पेंडिंग. पिछले सत्रों के हजारों आश्वासन पेंडिंग थे, जिन्हें आश्वासन समिति ने बैठकर हल किया है. लेकिन, अभी भी एक हजार आश्वासन लंबित हैं. कार्यवाही के दौरान मंत्री जांच कराने जैसे आश्वासन का देते हैं. लेकिन, विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद माननीय और विभाग आश्वासनों को भूल जाते हैं.

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