MP Election 2023: ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में वापस आने के बाद अब नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि इस बार बीजेपी ने नया नारा दिया है, जो 'अबकी बार बीजेपी सरकार' है. माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज को बदल दिया गया है.
Trending Photos
MP Assembly Election 2023: मध्यप्रदेश में कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसके बाद लोकसभा चुनाव भी होंगे. इन चुनावों में सबसे ज्यादा पार्टियां जिन चीजों पर फोकस करती है, वो होते है उनके नारे. गौरतलब है कि 2014 पीएम मोदी ने 'अच्छे दिन आने वाले है' का नारा दिया था, जो इतना फेमस हुआ कि उनकी सरकार बन गई. वहीं 2018 में बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को टारगेट करते हुए नारा दिया था 'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज' का नारा दिया था.
लेकिन अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में आ गए हैं तो बीजेपी ने साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नारा दिया है 'अबकी बार बीजेपी सरकार'. यानी अब 'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज', लेकिन इस बार यह नारा 2023 के रण में सुनाई नहीं देगा.
अबकी बार बीजेपी सरकार
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश बीजेपी प्रदेश में जन आशीर्वाद यात्रा निकालने जा रही है. यात्रा को लेकर एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने प्रेस कॉफ्रेंस की थी. जिसमें पत्रकारों से बात करते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बीजेपी ने इस बार नारा दिया है अबकी बार बीजेपी सरकार. इस नारे की बदौलत हम प्रदेश में कमल खिलाएंगे. इसके बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने सीएम फेस को लेकर पार्टी हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया है.
2013 में कांग्रेस का हुआ था सुपड़ा साफ
बता दें कि 2013 में मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हराया था. कांग्रेस महज 58 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं बीजेपी ने 165 सीटों पर कब्जा जमाया था. लेकिन 2018 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के हाथ में सत्ता आई थी. साल 2018 के चुनाव में बीजेपी ने सिंधिया को अपना मुख्य प्रतिद्वंदी माना और नारा दिया था 'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज'. हालांकि इसके बाद भी बीजेपी हारी और 109 सीटों पर सिमट गई.
बीजेपी में चले गए थे सिंधिया
बीजेपी हार के बावजूद आज सत्ता में बैठी हुई है. इसका प्रमुख कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में उनको सम्मान नहीं मिल सका, जिसके बाद अपने समर्थक विधायकों के साथ उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली और नतीजा ये रहा कि महज डेढ़ साल बाद ही प्रदेश की सत्ता से कांग्रेस सरकार को हटना पड़ा था.