MP के इस मेले में बिकते हैं शाहरूख, सलमान! औरंगजेब से जुड़ा है इसका इतिहास
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MP के इस मेले में बिकते हैं शाहरूख, सलमान! औरंगजेब से जुड़ा है इसका इतिहास

Chitrakoot Donkey Fair: मध्य प्रदेश (MP News in Hindi) के चित्रकूट में हर साल ऐतिहासिक मेला लगता है. चित्रकूट में दीपदान मेले का आज चौथा दिन है, दीपदान मेले में दिवाली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा मेला लगता है, इसमें फिल्मी सितारों के नाम से गधे बिकते हैं. 

MP के इस मेले में बिकते हैं शाहरूख, सलमान! औरंगजेब से जुड़ा है इसका इतिहास

संजय लोहानी/ सतना: मध्य प्रदेश (MP News) के चित्रकूट में हर साल ऐतिहासिक मेला लगता है. चित्रकूट में दीपदान मेले का आज चौथा दिन है, दीपदान मेले में दिवाली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा मेला लगता है, यह मेला औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा है, इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं. इस मेले में कई फिल्मी सितारों के नाम से गधे बिकते हैं, आइए जानते हैं क्या है इसकी ऐतिहासिकता. 

मंदाकिनी नदी के किनारे हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों का मेला लगा है, जिसकी बाकायदा नगर पंचायत ने व्यवस्था की है। मेले में देश के कोने-कोने से गधा व्यापारी अपने पशुओं के साथ आए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इस मेले में फिल्मी सितारों के नाम से गधों और खच्चरों बिकते है इनके नाम शाहरुख, सलमान आमिर कैटरीना आदि होते है. 

सबसे महंगी कैटरीना की बोली 
फिल्मी सितारों के नाम से बिकने वाले गधों में इस बार सबसे अधिक बोली कैटरीना नाम के गधे की लगी. 
इस बार अभी तक कैटरीना खच्चर घोड़ी 41 हजार में बिकी है. जिसकी आस- पास काफी ज्यादा चर्चा हो रही है. 

ये है ऐतिहासिकता
इस मेले का इतिहास मुगल काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले की परंपरा बहुत पुरानी है, इस​ मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने की थी, औरंगजेब ने चित्रकूट के इसी मेले से अपनी सेना के बेड़े में गधों और खच्चरों को शामिल किया था. इसलिए इस ​मेले का ऐतिहासिक महत्व है, इस मेले में एक लाख तक के गधे बिकते हैं. 

ये है समस्या 
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि मुगल काल से चली आ रही ये परंपरा सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खत्म होने की कगार पर है. नदी के किनारे भीषण गंदगी के बीच लगने वाले इस मेले में व्यापारियों को न तो पीने का पानी मुहैया होता है, और न ही छाया. दो दिवसीय गधा मेले में सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक के जवान नहीं लगाए जाते, जबकि कहा जाता है कि व्यापारियों के जानवर बिकें या न बिकें ठेकेदार उनसे पैसे वसूल लेते हैं. जिसकी वजह से व्यापारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ऐसी हालत में यह ऐतिहासिक गधा मेला अपना अस्तित्व खोने के कागार पर है. 

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