MP के इस पर्यटन स्थल पर बसाया जा रहा आदिवासी गांव, PM मोदी कर सकते हैं उद्घाटन
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MP के इस पर्यटन स्थल पर बसाया जा रहा आदिवासी गांव, PM मोदी कर सकते हैं उद्घाटन

MP News: मध्य प्रदेश के एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर एक आदिवासी गांव बसाया जाएगा, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं. हालांकि अब तक इस बात की ऑफिशियल जानकारी नहीं मिली है. लेकिन माना जा रहा है कि दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक यह गांव तैयार हो जाएगा. 

MP के इस पर्यटन स्थल पर बसाया जा रहा आदिवासी गांव, PM मोदी कर सकते हैं उद्घाटन

MP News: हरीश गुप्ता/छतरपुर। खजुराहो की गिनती मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में होती है, जहां हर वक्त पर्यटकों की भारी भीड़ जुटती है. लेकिन अब खजुराहो को एक और बड़ी सौगात मिलने जा रही है, जिससे खजुराहो में पर्यटकों की और भीड़ बढ़ेगी. विश्व पयर्टक स्थल खजुराहो में एक आदिवासी गांव बसाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं. दिसंबर के अंत तक गांव के तैयार होने की बात सामने आ रही है. 

गांव में दिखेगी आदिवासियों की संस्कृति की झलक 
बताया जा रहा है कि विश्व पयर्टक स्थल खजुराहो में ऐसा आदिवासी गांव बसाया जा रहा, जिसमे देश की सात जनजातियों की संस्कृति झलकेगी. इस गांव की खासियत यह है कि जहां सातों जनजातियों के रहवास और उनकी कला संस्कृति को उसी जनजाति के कलाकारो ने तैयार किया है. जिससे इस गांव की सुदंरता दिखते ही बनेगी. दिसंबर के अंतिम सप्ताह या फिर जनवरी 2023 में इस गांव का उद्घाटन पीएम नरेन्द्र मोदी कर सकते हैं. हालांकि अब तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. 

गांव का नाम रखा गया ''आदिवर्त''
खजुराहो में बसाए जा रहे इस आदिवासी गांव का नाम आदिवर्त रखा गया है, जिसमें भील, गोंड, भारिया, कोल, सहरिया, बैगा और कोरकू जनजाति के रहवास बनाए जा रहे हैं. यहां इनकी पूरी संस्कृति देखने को मिलेगी. इस गांव में आदिवासियों के उपकरण से लेकर वाद्य यंत्र तक रखे जाएंगे. इस गांव का निर्माण क सितंबर 2021 से शुरू किया गया था, जो 3.5 एकड़ में बनकर तैयार हो रहा है. 

सात करोड़ की लागत से तैयार हो रहा है गांव 
जनजातीय लोककला संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्र ने बताया हैं करीब सात करोड़ की लागत से निर्माण कार्य 80 प्रतिशत से ज्यादा पूरा हो चुका है. यहां एक प्रदर्शनी दीर्घा भी रहेगी. प्रत्येक माह में 15 दिन जनजाति कलाकार यहां अपनी कला का प्रदर्शन कर पाएंगे. इसके अलावा वे सीधे ग्राहक को अपने उत्पाद भी बेच पाएंगे, प्रदेश में सात जनजातियों में पांच जनजाति नर्मदा नदी के किनारे बसती हैं. पानी से इनका गहरा नाता है. ऐसे में यहां दीवारों पर मां नर्मदा की जीवंत कथा पेंटिंग के माध्यम से उकेरी जाएगी, जब यह पूरा गांव बन जायेगा तो यहां आने वाले देशी विदेशी पयर्टको के लिये भी एक नई जगह आर्कषण का केंद्र होगी. 

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