MP Tourism: ऐतिहासिक बौद्ध संस्कृति को समेटे है मध्य प्रदेश, जानिए इन अद्भुत स्थलों के बारे में
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MP Tourism: ऐतिहासिक बौद्ध संस्कृति को समेटे है मध्य प्रदेश, जानिए इन अद्भुत स्थलों के बारे में


MP Tourism Historical Buddhist Sites: क्या आपने कभी सोचा है कि मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध सांची स्तूप के अलावा और कौन-कौन से प्रमुख दर्शनीय बौद्ध स्थल हैं? ऐसी जगह जो प्रकृति के बेहद करीब हैं और बहुत कम पर्यटकों को इनके बारे में विस्तृत जानकारी है. आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ अद्भुत बौद्ध धार्मिक स्थानों के बारे में जहां आत्मिक शांति की अनुभूति के लिए जीवन में एक बार तो आपको जरूर आना चाहिए. 

MP Tourism: ऐतिहासिक बौद्ध संस्कृति को समेटे है मध्य प्रदेश, जानिए इन अद्भुत स्थलों के बारे में

भोपालः हिंदुस्तान का दिल कहे जाना वाला मध्य प्रदेश बौद्ध तीर्थ स्थल 'सांची स्तूप' के लिए प्रसिद्ध है, जो राजधानी भोपाल से 48 किमी की दूरी पर स्थित है. सांची का यह स्तूप सम्राट अशोक द्वारा विकसित किये गए राज्य में निर्मित प्राचीन पत्थर की संरचनाओं में से एक है. अशोक के पुत्रों, राजा महिंदा और संघमित्रा, की शुरुआती शिक्षा यही पर संपन्न हुई थी. कई अन्य छिपे हुए रत्न सांची के 30 किमी के दायरे में स्थित हैं जो बुद्ध की शिक्षा प्रदान करवाते हैं. आइए जानते हैं इन बौद्धिक धार्मिक स्थलों के बारे में. 

सतधारा एक प्रसिद्द बौद्ध स्थल
सतधारा यूनेस्को विश्व धरोहर सांची स्तूप से सिर्फ 9 किमी दूर स्थित है. सतधारा एक प्रमुख बौद्ध स्थल है, जहां मौर्य और गुप्त काल से संबंधित बुद्ध के चित्र के साथ चित्रित स्तूप, चैत्य और चट्टान निर्मित हैं. यहां स्थित स्तूप संख्या 2 में सारिपुत्र और महामौगलायन के कुछ प्रमाण देखने को मिलते हैं. मान्यता है कि वे भगवान बुद्ध के समर्पित शिष्य थे.

मुरेलखुर्द  37 स्तूपों की एक बस्ती
मुरलखुर्द भोजपुर स्तूप के नाम से भी प्रसिद्द है. मुरेलखुर्द स्तूप सांची से 11 किमी की दूरी पर स्थित है. यह स्थल 37 स्तूपों और दो बौद्ध मंदिरों का एक छोटा सा शहर है. इन मंदिरों में से एक बुद्ध की आकृति के साथ पाया गया है. इस स्थान की खोज 19वीं शताब्दी में मेजर कनिंघम नाम के एक ब्रिटिशर ने की थी. इन स्तूपों में बौद्ध शिक्षकों और प्रमुख शिष्यों के अवशेषों को ताबूत में दर्शन के लिए सजा कर रखा गया है.

अंधेर एक ऐसा स्थल जहां से मुरेलखुर्द के अद्भुत नजारे दिखते हैं 
हम प्राचीन अंधेर स्तूप का उल्लेख किए बिना आगे नहीं बढ़ सकते हैं, जो रायसेन जिले के सांची से करीब 19 किमी दूर स्थित एक पहाड़ी के ऊपर छह स्तूपों का एक समूह है. इस स्थान से शानदार मुरेलखुर्द स्तूपों को के अलौकिक दर्शन होते हैं. अन्य बौद्ध स्थलों की तरह, यहां के स्तूपों में भी खुदाई के दौरान अनेकों ताबूत मिले थे, लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि सभी खाली थे.

सोनारी अलौकिक बौद्ध स्थल
मध्यप्रदेश में एक और प्रमुख बौद्ध स्थल है जहां पर्यटक जा सकते हैं, वह है सांची से 25 किमी दूर 'सोनारी', यहां एक परिसर में दो बड़े और पांच छोटे स्तूपों स्थापित हैं. इस स्थान की खोज सन 1850 में एक ब्रिटिशर द्वारा किया गया था. यहां मिले दो ताबूतों में से एक में पाया गया अवशेष अलंकारों से सुसज्जित था, इसलिए उसे लंदन में विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में स्थापित किया गया.

सरू मारू जहां राजा अशोक ने किया था विश्राम 
सरू मारू बौद्ध गुफाओं और स्तूपों के साथ एक मठवासी परिसर है जो राजधानी भोपाल से 80 किमी और विश्व धरोहर स्थल सांची से 52 किमी दूर स्थित है. इसे भीमबेटका रॉक शेल्टर के नाम से भी जाना जाता है, जो रॉक पेंटिंग और गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है. सरू मारू में कई स्तूप और प्राकृतिक गुफाएं हैं, जहां सदियों पहले भिक्षु रहते थे. गुफाओं के अंदर कई शिलालेख और चित्र देखे जा सकते हैं. मुख्य गुफा में सम्राट अशोक के शिलालेख हैं, उल्लेख है कि उन्होंने इस स्थल का दौरा किया था और कुछ समय के लिए अपनी पत्नी के साथ यहां पर  रुके थें.
                                       
देवरकोठार जो कभी हुआ करता था व्यापार का केंद्र 
रीवा जिले में स्थित देवरकोठार बौद्ध स्थापत्य की सुंदरता की याद दिलाता है. स्तूप में 40 से अधिक अवशेष मौजूद हैं, जिनको देखना रोमांच से भर देता है. इस स्थल में एक उत्कीर्ण स्तंभ है, जिसमें आचार्य धर्मदेव और उनके तीन छात्रों उत्तरमित्र, भद्र और उपस्क के नामों का उल्लेख किया गया है. माना जाता है कि ये सभी देवरकोठार में रुके थे. स्थल के आसपास के क्षेत्र में रॉक पेंटिंग्स बनी हुई हैं जो इतिहास की कहानियों को दर्शाती हैं. देवरकोठार में टेराकोटा खिलौने, कान के स्टड, मोतियों के गहने आदि जैसी चीज़ों का प्रचलन यहीं से शुरू हुआ, इससे प्राचीन काल में देवरकोठार का व्यापार का एक बहुत बड़ा केंद्र होने का प्रमाण मिलता है.
 
भारत के दिल में स्थित मध्यप्रदेश में अनेक बौद्ध स्थल मौजूद हैं जहां बौद्ध धर्म के अनुयायिओं ने अपनी शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की है. प्रमुख बौद्ध धर्म गुरु दलाईलामा ने न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि देश और यहां तक की सम्पूर्ण विश्व में शांति का सन्देश प्रसारित करने का महान काम किया है. दलाईलामा ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्पों का भी पूर्ण समर्थन किया है जिसका मूल भाव जनकल्याण और पर्यावरण संरक्षण है. शिवराज सिंह चौहान ने दलाईलामा के साथ मिल कर नर्मदा सेवा यात्रा का सन्देश पूरे विश्व तक पहुंचाया. नर्मदा सेवा यात्रा का उद्देश्य मध्य प्रदेश की नदियों को साफ सुथरा और प्रदूषण मुक्त बनाना है. बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु और तिब्बत के पूर्व राज्य प्रमुख दलाईलामा ने लंदन के स्कूलों में "हैप्पीनेस" विषय शुरू किया है. इसी तर्ज पर, बौद्ध गुरु की प्रेरणा के साथ मुख्यमंत्री शिवराज ने भी राज्य के स्कूलों में "हैप्पीनेस" विषय शामिल किया है, यह भारत में अपनी तरह की अनूठी पहल है. इससे गांवों से लेकर शहर और शहर से लेकर पूरे देश और विश्व में शांति और खुशहाली का सन्देश प्रसारित होगा.

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