बहुत पुरानी है होशंगाबाद का नाम बदलने की मांग, जानिए कैसे शुरू हुआ था अभियान
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बहुत पुरानी है होशंगाबाद का नाम बदलने की मांग, जानिए कैसे शुरू हुआ था अभियान

होशंगाबाद का नाम बदलने की मांग लंबे समय से उठ रही है. होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अभियान चलाया था. 

 

होशंगाबाद अब होगा नर्मदापुरम

पीताम्बर जोशी/होशंगाबादः शिवराज सरकार ने होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और बाबई का नाम माखन नगर रखने की घोषणा कर दी है. नर्मदा जयंती के दिन से इन दोनों शहरों का नाम बदल दिया जाएगा. सेठानी घाट पर आयोजित नर्मदा जयंती के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद  होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और बाबई का नाम माखन नगर बदलने की घोषणा करेंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों शहरों का नाम बदलने की मांग बहुत पुरानी है. जिसको लेकर अभियान भी चलाए गए हैं. 

1991 में शुरू हुआ था अभियान 
दरअसल, होशंगाबाद का नाम बदलने की मांग लंबे समय से उठ रही है. होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 1991 में अभियान शुरू किया था. इस अभियान का नाम ''होशंगाबाद नहीं नर्मदापुरम कहो'' रखा गया था. 2000 के दशक तक यह मांग चलती रही. 2010 के बाद नगर पालिका और 2016 में जिला योजना समिति में प्रस्ताव बनाकर पास हुआ. जिसके बाद संभाग का नाम का नर्मदापुरम रख दिया गया. लेकिन शहर का नाम अभी भी होशंगाबाद था. ऐसे में समय-समय पर लोग मांग करते रहे कि होशंगाबाद का नाम बदला जाए. जिसके बाद सरकार ने पिछले साल होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम रखने का ऐलान कर दिया था. अब तय हो चुका है होशंगाबाद नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा.''

होशंगाबाद को लेकर शहर की शिक्षाविद डॉक्टर हंसा व्यास ने बताया कि होशंगाबाद के पहले शासक रहे मालवा के सुल्तान होशंगशाह गौरी के शासनकाल में अभिलेखों में होशंगाबाद नाम सामने आया. 617 साल बाद फिर से होशंगाबाद अपने मूल नाम नर्मदापुर यानी नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. अभी गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ है संभवत नर्मदा जयंती के दिन तक सभी प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी. 

माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली है बाबई 
इसके अलावा इसी जिले में आने वाली बाबई नगर पंचायत महान कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली है. स्थानीय लोगों की मानें तो कई वर्षों से बाबई तहसील का नाम माखन दादा के नाम पर माखन नगर करने की मांग की जा रही थी. क्योंकि माखनलाल चतुर्वेदी मध्य प्रदेश के पहले स्वतंत्रता सेनानी भी माने जाते हैं. ऐसे में सरकार ने इस जगह का नाम बदलने की भी घोषणा कर दी. माखन दादा के नाती ध्रुव तिवारी ने बताया कि बाबई को अब माखन नगर के नाम से अब जाना जाएगा. ऐसे में बाबई का नाम माखन नगर होने पर लोगों में उत्साह है. बताया जा रहा है कि दोनों शहरों के नाम बदलने वाली अधिसूचना की कॉपी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नर्मदा जयंती पर घोषणा कर सकते है. 

नर्मदा किनारे बसा है यह शहर 
नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर बसा यह खूबसूरत शहर प्राकृतिक सुंदरता का जीता-जागता उदाहरण है, जो पर्यटकों को दूर-दूर से आकर्षित करता है. इतिहास के पन्ने पलटें तो पहले इसका नाम नर्मदा नदी के नाम पर नर्मदापुरम् रखा गया था, लेकिन बाद में मामला के इस्लामिक शासक होशंग शाह के नाम पर इसका नाम होशंगाबाद पड़ा. लेकिन अब यानी नर्मदा जयंती के मौके पर एक बार फिर इसका नाम नर्मदापुरम् कर दिया जाएगा.  

होशंगाबाद जो अब नर्मदापुरम् कहलाएगा उसे धार्मिक नगरी भी कहा जाता है. क्योंकि पूरे जिले में हजारों मंदिर हैं. यह सेठानीघाट सहित देवालयों के नाम से भी जाना जाता है. शोधकर्ताओं की मानें तो यहां हर 20 कदम की दूरी पर मंदिर है. प्राचीन काल से ही यह शहर अपने सुंदर प्राकृतिक, आध्यात्मिक और दर्शनीय स्थलों के कारण अपनी अगल पहचान बनाए हुए है. इसका अपना एक धार्मिक महत्व है और कुछ प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जैसे खेड़ापति, हनुमान मंदिर और शनि मंदिर यहां के बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मंदिर हैं.

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