religious place of mp: आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां पर माता रानी कुंड के भीतर से भक्तों से संवाद करती हैं और भक्तों को प्रसाद देती हैं. मां के पास यह प्रसाद कहां से आता है इस चमत्कार के बारे में आज तक पता नहीं लगाया गया है.
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सत्येंद्र परमार/निवाड़ीः नवरात्रि (navratri) का समय चल रहा है. ऐसे में आज हम आपको मध्य प्रदेश के निवाड़ी में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां मां कुंड से भक्तों को मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देती हैं. बता दें कि माता रानी (mata rani) का यह मंदिर निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मडिया में देवी अछूरू माता (achhuru mata) के नाम से विख्यात है. जहां पर मां कुंड से आने वाले हर भक्त से सजीव संवाद करती है मां भक्तों की फरियाद सुनती है, मां भक्तों के प्रश्नों के उत्तर भी देती है और मां भक्तों को मनोकामना (desire) पूरी होने का आशीर्वाद भी प्रदान करती है. आपका कार्य पूरा होगा अथवा नहीं माता रानी यह भी बता देती हैं.
मनोकामना पूर्ण होने से पहले मिलता है प्रसाद
जी हां ऐसा अद्भुत दरबार मां अछूरू माता का है. जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचते हैं. हाजिरी लगाते हैं, मां को अपनी फरियाद सुनाते हैं और साथ ही उनसे अपने कार्यों की पूर्ण होने की मनोकामना करते हैं. मां भी भक्तों को मनोकामना पूर्ण होने की आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं. अछरू माता के इस अद्भुत कुंड से मां भक्तों को प्रसाद के रूप में नींबू दाख गरी फूल जलेबी दही चिरौंजी इत्यादि प्रसाद के रूप में प्रदान करती हैं. भक्तों का ऐसा मानना है की मां कुंड से यह सब अपने भक्तों को प्रदान करती है. ऐसा कहा जाता है कि जिस भी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होनी होती है. उसी अनुसार मां उसे प्रसाद प्रदान करती हैं.
जानिए क्या है मान्यता
अछरू माता मंदिर देश के उन चंदा देवी मंदिरों में से है, जहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंच कर अपनी फरियाद करते हैं. मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस स्थान पर मां के उद्भव की भी कहानी बड़ी अजीब है. कहा जाता है कि लगभग 500 बरसों पूर्व एक चरवाहा जिसका नाम अछरू था. वह यादव जाति से था, जो कि अपनी भैंसे जंगल में चारा रहा था. इसी दौरान इस घने जंगल में चरवाहे की भैंस गुम हो गई. कई दिन तक चरवाहा घने जंगल में अपनी भैंसों की खोज करता रहा. दिन दोपहर में थक हार गया चरवाहा आसपास कोई जलस्रोत ना होने के कारण प्यास से व्याकुल होने लगा. चरवाहा इसी पहाड़ी के पास एक वृक्ष के नीचे छाया बैठ गया तो माता ने उसे कुंड से निकल कर दर्शन दिए व उसे कुंड से जल ग्रहण करने की बात कही व चरवाहे को अपने भैंसों की जानकारी दी. जानकारी कुंड में पानी पीने के बाद चरवाहे ने अपनी लाठी कुंड में डाली तो वह अंदर चली गई. माता ने जिस स्थान पर उसकी वैसे होने की बात बताई थी. उसी स्थान पर उसकी लाठी भी मिल गई तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. तभी से नित्य प्रति दिन चरवाहा इस स्थान पर आकर मां की पूजा करने लगा. धीरे-धीरे यह बात आसपास फैलने लगी और लोग इस स्थान पर पहुंच कर अपनी मनोकामना पूरी करने हेतु अर्जी लगाने लगे.
मंदिर में होता है चमत्कार
मां कुंड से श्रद्धालुओं को जवाब देने लगी. तभी से स्थान धीरे-धीरे देशभर में विख्यात हो गया और आज हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस स्थान पर पहुंचकर मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाते हैं. वह मनोकामना पूरी होने की मां से विनय करते हैं. मां भी भक्तों को कुंड से जवाब देती हैं. ऐसा श्रद्धालुओं का मानना है कि मां का अद्भुत दरबार है. यह स्थान जहां पर मां का कुंड है एक पहाड़ी पर स्थित है और कुंड हमेशा जल्द से लबालब रहता है. कई बार बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की चपेट में आया क्षेत्र भी सूखे की चपेट में रहा आसपास किलोमीटर तक लोगों को पीने की पानी की लेने जाना पड़ता था. लेकिन इस कुंड में सदैव ही जल रहता है. इसे अद्भुत चमत्कार कहा जा सकता है. पहाड़ी पर यह स्थान होने के बावजूद भी कुंड का पानी कभी कम नहीं होता. लोगों का कहना है कि मां दैवीय आपदाओं का भी संकेत देती हैं. ऐसा यहां के स्थानीय लोगों का कहना है इस कुंड में जल कहां से आता है और प्रसाद कहां से आता है. इस बात की खोज कई बार लोगों ने करने की कोशिश की, लेकिन सब अज्ञात है लाखों लोगों की श्रद्धा इस स्थान से बनी हुई है. लोग अपने कार्यों की अपेक्षा लेकर मां के दरबार में पहुंचते हैं और मां सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती.
पृथ्वी का मध्य स्थल है यह स्थान
अछरू माता से जुड़े कई किस्से भी सुनाए और बताया कि जब दक्ष प्रजापति ने अपना यज्ञ किया था और शिव जी का अपमान किया था. उस वक्त मां पार्वती की आंखों में आंसू आ गए थे और वही स्थान हैं, जहां पर वह आंसू गिरा था. उन्होंने बताया कि यह स्थान पृथ्वी का मध्य स्थल है. इस दौरान उन्होंने कई माता से जुड़ी किवदंती अपने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अनुभव भी साझा किए. उन्होंने बताया कि एक बार इस कुंड के आस पास की सफाई की जा रही थी. किसी ने लोहे की साग से कुंड के मुहाने पर लगे काई कुरोद कर साफ करने की कोशिश की. तब इस कुंड का पानी खून की तरह लाल हो गया था. मां के भक्तों कहना था कि यहां पर जो भी भक्त मनोकामना करता है. वह पूरी होती है. साथ ही इस दौरान मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस स्थान पर आज भी वर्षों पूर्व इस स्थान की खोज करने वाले मां अछरू मैया के अनन्य भक्त अछरू के परिवार के लोग ही मंदिर की पूजा करते हैं. लाखों भक्त प्रतिवर्ष श्रद्धा भक्ति भाव से मां के दरबार में पहुंचते हैं. चैत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्रि में यहां पर मेले का आयोजन होता है. बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.