बजरंग बली को नल टैक्स चुकाने का फरमान, शिवसैनिकों ने निगम कार्यालय में पढ़ी हनुमान चालीसा
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बजरंग बली को नल टैक्स चुकाने का फरमान, शिवसैनिकों ने निगम कार्यालय में पढ़ी हनुमान चालीसा

Notice To Pay Water Tax To Bajrangbali: छत्तीसगढ़ में नगर निगम का हनुमान जी को नोटिस देने का मामला थमने नहीं ले रहा है. अब शिव सैनिकों ने नगर निगर कार्यालय में हनुमान चालीसा का पाठ किया है. 

बजरंग बली को नल टैक्स चुकाने का फरमान, शिवसैनिकों ने निगम कार्यालय में पढ़ी हनुमान चालीसा

श्रीपाल यादव/रायगढ़: छत्तीसगढ़ में बजरंगबली को नल टैक्स के लिए नोटिस भेजने (Notice To Pay Water Tax To Bajrangbali) के मामले में नगर निगम में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज शिवसेना ने नगर निगम कार्यालय पहुंच कर निगम कमिश्नर के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ किया. शिव सैनिकों का कहना था कि निगम के अधिकारी फर्जी रसीद भी काट रहे है.

निगम में हनुमान चालीसा का पाठ किया
शिवसैनिकों का कहना है कि नगर निगम में अमृत मिशन के तहत नल कनेक्शन लगाने के नाम पर काफी चल रहा है. वहीं आराध्य देव बजरंगबली के नाम पर नोटिस जारी कर उनका अपमान किया गया है. शिव सेना इसके लिए आज निगम के अधिकारियों को सद्बुद्धि देने व उनसे हुए पाप को क्षमा करने की मनोकामना के साथ निगम कार्यालय में हनुमान चालीसा का पाठ किया है.  वहीं निगम कमिश्नर से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग भी उन्होंने की है. 

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हनुमान जी को भेजा नोटिस
आपको बता दें कि नगर निगम की ओर से शहर के वार्ड क्रमांक 18 में स्थित हनुमान मन्दिर में बिना नल कनेक्शन लगे ही बजरंगबली के नाम पर जल कर जमा करने नोटिस जारी कर दिया गया था. तभी से इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और निगम कमिश्नर भाजपा शिव सेना सहित अन्य हिन्दू संगठन के निशाने पर आ गये है.

इससे पहले भगवान शिव को भेजा था नोटिस
आपको बता दें कि रायगढ़ में यह पहला मामला नहीं है, जब किसी भगवान को इस तरह का नोटिस दिया गया हो. इससे पहले भगवान शिव को भी नोटिस भेजा जा चुका हैं. दरअसल रायगढ़ के तहसील न्यायालय ने वार्ड क्रमांक 25 में भगवान शिव को नोटस दिया था. मामला ये था कि रायगढ़ की सुधा राजवाड़े नामक महिला ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. उसने आरोप लगाया है कि उसे अपनी जमीन तक पहुंचने वाले रास्ते पर लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया है. जिसमें शिव मंदिर भी था. मंदिर के नाम से नोटिस आने पर स्थानीय लोगों ने कहा था कि मंदिर की जमीन किसी एक व्यक्ति की नहीं है, बल्कि सार्वजनिक मंदिर है, गांव के सारे लोग मंदिर में पूजा पाठ करते हैं. ऐसे में उसकी जमीन पर किसी एक का हक नहीं है. 

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