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Panna News: भगवान जगन्नाथ की सेहत बिगड़ी! जड़ी-बूटियों से होगा इलाज, 15 दिनों तक दर्शन बंद

Panna News: क्या आपने कभी सुना है कि दुनिया के पालनहार भगवान खुद कभी बीमार पड़ जाते हैं? सुनने में यह बात हैरान करने वाली लग सकती है. लेकिन भक्ति प्रधान इस दुनिया में भगवान भी बीमार पड़ जाते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं पन्ना जिले के भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की जो आज से 15 दिन के लिए लू लगने के कारण बीमार पड़ गए हैं. जिसके चलते मंदिर के कपाट 15 दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं.

 

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दरअसल, मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी का एक प्राचीन मंदिर है. जहां भगवान जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं. पन्ना में रथ यात्रा कार्यक्रम को बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाने की परंपरा 175 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है. लेकिन रथ यात्रा से पहले भगवान लू लगने के कारण बीमार पड़ जाते हैं, जिसके बाद जड़ी-बूटियों और धूपबत्ती की आरती से भगवान का उपचार किया जाता है.

 

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बता दें कि भगवान जगन्नाथ स्वामी जी को स्नान पूर्णिमा के दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ औषधीय जल से स्नान कराया जाता है. इस दौरान भगवान बीमार पड़ जाते हैं. धूप में स्नान करने से उन्हें लू लग जाती है. भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर में आज सुबह राजपरिवार की मौजूदगी में भगवान को स्नान कराने की रस्म निभाई गई. इसके साथ ही ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव की भी शुरुआत हो गई.

 

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यहां मान्यता है कि जब भगवान को वैदिक मंत्रों के साथ एक हजार छिद्रों वाले घड़े के औषधीय जल से स्नान कराया जाता है, तो उस दौरान भगवान लू लगने से बीमार पड़ जाते हैं. जिससे उनकी दिनचर्या और भोजन व्यवस्था भी बदल दी जाती है. 

 

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भगवान के स्वस्थ होने तक प्रतिदिन एक चिकित्सक द्वारा देवता को औषधि (दवाईयां)  देने की परंपरा भी निभाई जाती है. इस दौरान मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे.

 

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इस दौरान भक्तगण भगवान की स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं. सबसे पहले भगवान को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया जाता है.

 

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जानकारों का कहना है कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के 36 साल बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पन्ना में जगन्नाथ जी की रथयात्रा शुरू हुई थी. यहां पिछले 175 सालों से रथयात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है.

 

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इस रथ यात्रा में हजारों लोगों के साथ घोड़े, हाथी और ऊंट की सवारी भी निकाली जाती है. यहां पुरी की तर्ज पर पारंपरिक तरीके से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. रिपोर्ट- पीयूष शुक्ला