मौत से पहले तेरहवीं, पिंडदान कर लोगों को खिलाया खाना, MP का अनोखा मामला
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मौत से पहले तेरहवीं, पिंडदान कर लोगों को खिलाया खाना, MP का अनोखा मामला

MP News: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में एक शख्स ने मरने से पहले ही अपनी तेरहवीं कर दी. उन्होंने पिंडदान से लेकर खाने-पीने और नाच गाने का आयोजन धूमधाम से किया गया.

 

pre death celebration in Narsinghpur

Narsinghpur: अब तक आपने देखा होगा कि लोगों के मरने के बाद तेरहवीं का कार्यक्रम रखा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी मरने से पहले खुद की मृत्यु का कार्यक्रमआयोजन करने के बारे में सुना है. दरअसल, मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर से मौत से पहले का जश्न मनाने की अजीबो गरीब खबर सामने आई है. इस खबर की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है. जहां गाडरवारा इलाके के कामथ वॉर्ड में रहने वाले स्वामी परसराम साहू ने मौत से पहले ही अपनी तेरहवीं कर दी. उन्होंने 29 सितंबर को शाम 7 बजे संस्कार पैलेस में मृत्यु महोत्सव का आयोजन किया.

दावत के साथ किया बुजुर्ग का पिंडदान 
परसराम साहू ने इस कार्यक्रम में लोगों को खाने की दावत भी दी. बुजुर्ग के इस मृत्यु पूर्व उत्सव में बड़ी संख्या में लोग शामिल आए. इसके अलावा कार्यक्रम में गीत संगीत भी हुआ. इसमें गीतों की धुन पर लोग खूब नाचे. इसके साथ धार्मिक रीति-रिवाज को ध्यान में रखते हुए परसराम जी की जन्म तारीख के हिसाब से श्राद्ध पक्ष में मां नर्मदा के घाट पर जाकर परसराम जी का पिंडदान भी किया गया. बता दें कि इन्होंने इन्वीटेशन कार्ड के जरिए इन सब कार्यक्रमों की जानकारी दी. इसमें भारी संख्या में लोग आए और मृत्यु पूर्व उत्सव मनाया.

जीवन उत्सव के साथ मृत्यु उत्सव भी मनाया जाए
परसराम साहू ने बताया कि  इनके परिवार में कोई भी रिश्तेदार नहीं है जो इनके मरने के बाद इनका मृत्यु कार्यक्रम करें. इसलिए उन्होंने सहयोगियों के साथ मिलकर मरने से पहले ही  मृत्यु उत्सव मनाने पर विचार किया.  उन्होंने कहा कि जब हम जीवन का उत्सव मना सकते हैं तो मृत्यु का उत्सव भी पूर्व में ही मनाया जाना चाहिए. ताकि मानव जीवन के अच्छे काम ही हमारे साथ जाएं. 

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स्वामी परसराम साहू ने पढ़ाया जिंदगी का पाठ
स्वामी परसराम ने बताया कि जीवन अगर उत्सव है तो मृत्यु भी महोत्सव है. उन्होंने जिंदगी को एक सिक्के के 2 पहलु बताया. इनके अनुसार लोग जन्म के समय बहुत खुश होते हैं. लेकिन वहीं जब मौत आती है तो बहुत दुखी. उन्होंने जन्म और मृत्यु को समान तरीके से अपनाने का संदेश दिया. उनका मानना है कि सभी लोग जीवन में एक उत्सव की तरह जन्म लेते हैं. इस कारण मृत्यु को भी एक महोत्सव की तरह मनाना चाहिए.

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