RTI DAY: सूचना आयुक्त का बड़ा फैसला, मध्य प्रदेश में पुलिस थानों की परेशानी बढ़ी
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1391379

RTI DAY: सूचना आयुक्त का बड़ा फैसला, मध्य प्रदेश में पुलिस थानों की परेशानी बढ़ी

RTI DAY: आज पूरे देश में आरटीआई कार्यकर्ता RTI DAY मना रहे हैं. इस मौके पर मध्य प्रदेश में राज्य सूचना आयुक्त ने बड़ा फैसला दिया है. इसके अनुसार, अब RTI के आवेदन पर पुलिस को 48 घंटे के अंदर FIR की कॉपी उपलब्ध करानी होगी.

RTI DAY: सूचना आयुक्त का बड़ा फैसला, मध्य प्रदेश में पुलिस थानों की परेशानी बढ़ी

RTI DAY: देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ और जनता को सूचना का अधिकार देने के लिए लाए गए RTI कानून को 17 साल पूरे हो गए. इसके आने के बाद ही जनता के हाथ में बड़ा हथियार आ गया, लेकिन कई मामलों में जनता को परेशान होना पड़ा, उन्हें कानूनी पेंच बताकर सूचना नहीं दी गई. ऐसे में RTI DAY पर मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने राहत देने का काम किया है. सूचना आयुक्त के निर्देश के अनुसार, अब हर थाने को आरटीआई आवेदन आने पर 48 घंटे के अंदर FIR की कॉपा देनी होगी.

48 घंटे में उपलब्ध करानी होगी FIR की कॉपी
FIR की कॉपी को लेकर पुलिस पर अक्सर यह आरोप लगता हैं कि पुलिस FIR  की कॉपी आसानी से उपलब्ध नहीं कराती है. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अब आम आदमी से जुड़ी इस शिकायत को दूर करने के लिए FIR की कॉपी को RTI एक्ट के दायरे मे लाते हुए सभी थानों में FIR की कॉपी 48 घंटे के भीतर उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी किए हैं. आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि अगर 48 घंटे के प्रावधान के तहत FIR की कॉपी प्राप्त करने का आरटीआई आवेदन आता है तो पुलिस विभाग को FIR  की कॉपी 48 घंटे के भीतर उपलब्ध करानी होगी.

पुलिस को चेताया
आयुक्त राहुल सिंह ने ये भी चेताया कि जानबूझकर FIR  की जानकारी को रोकने वाले दोषी अधिकारी के विरुद्ध 25000 रुपये जुर्माना या अनुशासनिक कार्रवाई आयोग द्वारा की जाएगी. इस आदेश में संवेदनशील अपराधिक मामलों और वो FIR जिसमे जांच प्रभावित हो सकती है को RTI के दायरे से बाहर रखा गया है. हालांकि शिकायत आने पर पुलिस को ये सिद्ध करना होगा की FIR की कॉपी देने से उनकी जांच प्रभावित होगी.

48 घंटे में जानकारी का नियम
कई मामलों में सूचना मिलने को लेकर 48 घंटे का प्रावधान है. ये केवल उन मामलो मे लागू होता है जब व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता का सवाल आता है. जहां नागरिकों के जीवन या स्वतंत्रता खतरे में हो और जहां 48 घंटे में जानकारी देने से व्यक्ति के अधिकारों के हनन होने पर रोक लगती हो वहां यह अधिकारियों का कर्तव्य है कि 48 घंटे के अंदर जानकारी संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध कराई जाए.

जानकारी नहीं मिलने पर क्या करना होगा
सूचना का अधिकार अधिनियम में 48 घंटे में जानकारी देने के नियम में प्रथम अपील और द्वितीय अपील कितन समय बाद की जा सकती इसका उल्लेख नहीं है. इसे दूर करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट किया की 48 घंटे में अगर जानकारी नहीं मिलती है तो 48 घंटे के बाद प्रथम अपील और उसके 48 घंटे के बाद द्वितीय अपील की जा सकेगी और ये न्यायिक मापदंड और सूचना के अधिकार अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप होगा.

किन कानून के तहत मिलेगी FIR
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने FIR के उपर आदेश  जारी करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 एवं अनुच्छेद 19 का भी सहारा लिया. अनुच्छेद की व्याख्या करते हुए सिंह ने बताया कि जिसके विरूद्ध FIR दर्ज की गई है उसे भी यह जानने का अधिकार है कि किन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. वहीं FIR, CrPC की धारा 154 के तहत तैयार एक सार्वजनिक दस्तावेज है और यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 74  के तहत भी सार्वजनिक दस्तावेज है. इस कारण इसे RTI में देना चाहिए.

Trending news