Akshaya Tritiya 3 may 2022: हिंदू धर्म में आज यानी अक्षय तृतीया के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन लोग बिना मुहूर्त दिखाए कोई भी मांगलिक कार्य कर सकते हैं. आइए जानते हैं अक्षय तृतीया के दिन किस तरह से करनी चाहिए पूजा और किन वस्तुओं का करना चाहिए दान ?
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शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः (Akshaya Tritiya) सनातन धर्म में अक्षय तृतीया तिथि को सर्वमान्य तिथि माना जाता है. अक्षय नाम से ही स्पष्ट है कि जिसका क्षय न हो. अक्षय तृतीया हिंदू कैलेण्डर के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष को पड़ता है. आज अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त है. धार्मिक मान्यतानुसार इस शुभ मुहूर्त में यदि आप कोई भी कार्य शुरु करते हैं तो उसमें सफलता अवश्य मिलेगी. अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त मंगलवार प्रातः 5 बजकर 18 मिनट से लेकर बुधवार की सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगा.
जानिए कब है पूजा का शुभ मुहूर्त
आज आप सुबह 5 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक विधि विधान से कलश पूजन और पूजा कर सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति आज विधि विधान से लक्ष्मी जी की और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसको पूरे साल रुपये पैसे की कमी नहीं होता है और वो हमेशा खुशहाल रहता है. इस शुभ मुहूर्त में आप सारे मांगलिक कार्य मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह या नया कारोबार से संबंधित कोई भी कार्य शुरू कर सकते हैं.
इन वस्तुओं की करें खरीददारी
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी की खरीददारी करने का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है, कि जो व्यक्ति इस दिन सोने चांदी की खरीददारी करता है उसके घर में वर्ष भर सुख समृद्धि रहती है. आज आप अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर मकान, जमीन या कारोबार में निवेश करते हैं तो अत्यंत लाभकारी होता है.
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इन वस्तुओं का करें दान
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया के दिन दान अक्षय होता है यानी जिसका क्षय न हो, ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन किसी जरूरतमंद को अन्न का दान करता है. उसका परिवार हमेशा सुखमय होता है. अगर आप अक्षय तृतीया के दिन गुड़, घी, नमक या गाय का दान करते हैं तो आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और आपके घर में कभी क्षय नहीं होता है.
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क्यों है अक्षय तृतीया का महत्व
धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी. अक्षय तृतीया के दिन ही राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं. इतना ही नहीं इसी दिन सागर मंथन की शुरुआत भी हुई थी और उसमें से निकलने वाला अमृत कलश पात्र में भी भरा था. कहते हैं कि कलश में 33 हजार करोड़ देवी- देविताओं का वास होता है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सोने के आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने के आभूषण खरीदने से पूरे साल धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है.
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