Ujjain Qazi Order for Muslim women: उज्जैन जिले में मुस्लिम समाज का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पत्र में लिखा गया कि इस साल से मोहर्रम और तमाम मुस्लिम जलसों में हमारी मुस्लिम मां-बहनों का हम बाजार और जुलूसों में जाने पर हमेशा के लिए प्रतिबन्ध लगाते हैं.
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: इन दिनों मुस्लिम समाज मुहर्रम का पर्व हजरत इमाम हुसैन की शहीदी की याद में बीते 8 दिनों से मना रहा है. प्रत्येक वर्ष समाज ये पर्व मनाता है. आज शुक्रवार को पर्व का 9वां दिन है. आज रात जगह-जगह जुलूस निकलेंगे और कत्ल की रात होगी. अगले दिन यानी 10वें दिन तमाम घोड़े नदियों में विसर्जित किए जाएंगे, लेकिन इस बीच एक पत्र जिले के बड़नगर तहसील क्षेत्र का सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. पत्र शहर काजी नासिर उद्दीन के नाम से है. जिसमें समाज की बहन-बेटियों के लिए लिखा गया है कि इस साल से मुहर्रम और तमाम मुस्लिम जलसों में हमारी मुस्लिम मां-बहनों का हम बाजार और जुलूसों में जाने पर हमेशा के लिए प्रतिबन्ध लगाते हैं. हमारी मां,बहन, बीवियां घर की इज्जत है.आज के दौर के हिसाब से उनका बाहर आना सही नहीं है.
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काजी ने कॉल पर पत्र के बारे में पुष्टि की
पत्र को लेकर जब zee media ने काजी नासिर उद्दीन से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि यह पर्व हजरत इमाम हुसैन की शहीदी के रूप में मनाया जाता है. यह गम का पर्व है. चूंकि इस्लाम में पर्दा प्रथा है. इसी के चलते ये निर्णय लिया गया है. किसी को कम आंकना या बहन-बेटियों को बाहर निकलने से रोकना इसका उद्देश्य नहीं है. बड़नगर ही नहीं प्रदेशभर व कई जगह इस तरह के आदेश जारी हुए है. इसमें किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती किसी बहन-बेटी से नहीं है. एक समझाइश के रूप में पत्र जारी किया गया है. जबरदस्ती रोक-टोक किसी के लिए नहीं है. आमतौर पर महिलाएं निकलती ही है बाजार में तो ऐसा कोई उद्देश्य ऐसी कोई सोच हमारी नहीं है.
विस्तार से जानिए पत्र में क्या लिखा है
24 जुलाई 2023 की तारीख लिखा हुआ और काजी ए शहर बड़नगर उज्जैन मप्र की सील लगा हुआ एक पत्र जिस पर लिखा गया है कि एक ज़रूरी एलान, बिरादारा ने इस्लाम अस्सलाम अलैकुम, आप सभी से अज़ीज़ाना गुज़ारिश है कि मोहर्रम और तमाम मुस्लिम जलसों में हमारी मुस्लिम मांजबहनों के बाजारों में व जुलूसों में आने इस साल से हमेशा के लिए पाबंदी लगाई जाती है क्योंकि हमारी मां-बहनें, बीवियां हमारे घरों की इज़्ज़त है. हमारी बहनें हमारे सिर का ताज़ हैं. हमारी बीवियां हमारे घरों की ज़ीनत है.
पत्र में आगे ये लिखा, लिहाज़ा आप सभी हज़रात से गुज़ारिश है कि अपनी मां-बहनों को घरों में रहकर इबादत करने की ताकीद करें और वक़्त की नज़ाक़त को समझे क्योंकि इनका बाजार में व जलसों में आना ना ही शरई ऐतबार से सही है, ना ही आज के दोर के हिसाब से एलानिया बोलने के बाद भी अगर कोई हमारी मां-बहनें बाजार में आती है तो उनसे किसी तरह की बदसलूकी न करते हुए समझाईश देकर घर जाने को बोले. मोहतरम इमाम हजरात से गुजारीश है कि आज हर नमाज में ब्यान करने की जहमत फरमाएं व बयान चस्पा कर देवें.