रूस-यूक्रेन युद्ध से मिला MP के किसानों को फायदा! जानिए कितना महंगा बिक रहा गेहूं?
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रूस-यूक्रेन युद्ध से मिला MP के किसानों को फायदा! जानिए कितना महंगा बिक रहा गेहूं?

इस बार मंडी में गेहूं की आवक फरवरी से ही शुरू हो गई है और मार्च तक गेहूं की आवक ने रिकॉर्ड बना लिया है.

रूस-यूक्रेन युद्ध से मिला MP के किसानों को फायदा! जानिए कितना महंगा बिक रहा गेहूं?

प्रमोद सिन्हा/खंडवाः रूस यूक्रेन युद्ध (Ukraine Russia War) को लेकर दुनियाभर में चिंता का माहौल है लेकिन मध्य प्रदेश के किसानों को इस युद्ध का लाभ मिलता दिख रहा है. दरअसल रूस यूक्रेन में युद्ध के चलते वहां से गेहूं का निर्यात नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते भारत के गेहूं की मांग बढ़ी है. इसका फायदा देश के किसानों को मिल रहा है. मध्य प्रदेश के किसान भी खुश हैं क्योंकि खुले बाजार में गेहूं (Wheat Price) 500 रुपए तक ऊंचा बिक रहा है. खंडवा में हर दिन लगभग 20 हजार क्विंटल गेहूं मंडियों (Mandi) में पहुंच रहा है. 

3000 रुपए क्विंटल तक जा सकते हैं दाम
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में गेहूं के दाम लगभग 3000 रुपए क्विंटल तक जा सकते हैं. मध्य प्रदेश में गेहूं (Wheat Crop) का सरकारी पंजीयन शुरू हो चुका है. इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 2050 तक है लेकिन खुले बाजार में यह 200-2500 रुपए क्विंटल तक बिक रहा है. हालांकि अभी सरकारी गेहूं की खरीद शुरू नहीं हुई है लेकिन किसानों को इस बार खुले बाजार में ही अच्छी कीमत मिल रही है, जिससे किसान खुश हैं. 

इस बार मंडी में गेहूं की आवक फरवरी से ही शुरू हो गई है और मार्च तक गेहूं की आवक ने रिकॉर्ड बना लिया है. समर्थन मूल्य अधिक मिलने से मंडी में वाहनों की कतार लग रही है. बता दें कि यूक्रेन रूस युद्ध के चलते अभी तक भारत से निर्यात होने वाले गेहूं का आंकड़ा मौजूदा वित्तीय वर्ष में फरवरी अंत तक ही करीब 7 मिलियन टन हो चुका है.

यूक्रेन रूस बड़े गेहूं उत्पादक

उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन में बड़े पैमाने पर अनाज का उत्पादन किया जाता है. ये दोनों देश पूरी दुनिया के कुल गेहूं निर्यात का एक तिहाई हिस्सा निर्यात करते हैं. भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा अनाज उत्पादक देश है. यही वजह है कि यूक्रेन रूस के युद्ध के चलते भारत का अनाज निर्यात बढ़ा है. आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत में 111.32 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन होगा, जो कि पिछले साल के 109 मिलियन टन से ज्यादा है. 

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