चम्बल इलाके की पहचान आज भी डाकुओं और बंदूकों से होती है. पुरुषों के हाथों में रायफल या रिवाल्वर चम्बल में कोई बड़ी बात नही है, लेकिन इन दिनों इलाके में 'रिवाल्वर रानी' चर्चा में हैं. आत्मरक्षा के लिए अब अंचल की महिलाएं भी बन्दूकें थामे घूमती दिख जाती हैं.
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प्रदीप शर्मा/भिण्ड: चम्बल इलाके की पहचान आज भी डाकुओं और बंदूकों से होती है. पुरुषों के हाथों में रायफल या रिवाल्वर चम्बल में कोई बड़ी बात नही है, लेकिन इन दिनों इलाके में 'रिवाल्वर रानी' चर्चा में हैं. आत्मरक्षा के लिए अब अंचल की महिलाएं भी बन्दूकें थामे घूमती दिख जाती हैं. भिंड ज़िले में महिलाओं का पहचान बदल रही है. अब तक जो महिलाएं सिर्फ परिवार संभालती थीं, वो अब चूल्हे चौके वाली छवि को दरकिनार कर परिवार की रक्षा का ज़िम्मा भी उठा रही हैं. हाल ही में एक महिला कंधे पर बंदूक टांगे कलेक्ट्रेट पहुंच गई थीं.
बंदूक टांगे पहुंची कलेक्ट्रेट
पुरुष प्रधान देश मे महिलाएं सिर्फ परिवार ही नहीं चला रही, बल्कि परिवार की सुरक्षा का ज़िम्मा भी उठाने लगी हैं. चम्बल के भिंड जिले में बीते कुछ सालों में कई महिलाओं ने आर्म्स लाइसेंस लिए हैं. साथ ही बंदूके भी धड़ल्ले से खीद रही हैं. जिले में अटेर क्षेत्र में रहने वाली नीरज जोशी हाल ही में कंधे पर बंदूक टांगे कलेक्ट्रेट में नज़र आईं. इस तरह की तस्वीर दिखना किसी भी जिले में आम बात नहीं है. मीडिया के सवाल पर नीरज जोशी ने बताया कि चार साल पहले उनके पति का देहांत हो गया था. घर मे बुज़ुर्ग सास ससुर और तीन बच्चे हैं. वे चम्बल के उस बीहड़ी इलाके से हैं, जहां कभी डकैतों का मूवमेंट हुआ करता था. समय के साथ बदलाव तो हुआ है, लेकिन आज भी उनके गांव में लड़ाई झगड़े विवाद की स्थिति कभी भी बन जाती है. इसके अलावा गुंडे बदमाशों का भी डर बना रहता है. पति के इस दुनिया में न होने से अब बच्चों और सास ससुर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी खुद नीरज जोशी उठा रहीं हैं.
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आर्म लाइसेंस के लिए बढ़ी मांग
परिवार की सुरक्षा के लिए उन्होंने इसी साल आर्म लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. लाइसेंस बनवाने के बाद लाइसेंसी बंदूक और एम्युनिशन भी खरीदे हैं. जिससे ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल अपनों को सुरक्षित रखने के लिए किया जा सके. ज़िले में नीरज अकेली महिला नही हैं, जिनके पास आर्म लाइसेंस है. इनके अलावा भी 4-5 महिलाओं ने आर्म लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जो अभी प्रोसेस में है. यानी आने वाले दिनों में इन महिलाओं के हाथों में भी बंदूक देखी जा सकती है. भिंड ज़िले में आर्म शाखा प्रभारी और अपर कलेक्टर प्रवीण कुमार फुलपगारे ने बताया कि वर्तमान में भिंड ज़िले में करीब 23500 आर्म लाइसेंस आवंटित हैं, जिनमे रायफल, पिस्टल आदि शामिल हैं. ज़्यादातर लाइसेंसधारी समूह पुरुष वर्ग का है, लेकिन इनमें 140 आर्म लाइसेंस महिलाओं के नाम दर्ज हैं. कहने को यह आंकड़ा कुल संख्या के आगे बहुत छोटा लगता है, लेकिन आज के इस माहौल में महिलाओं के आत्मविश्वास को दर्शाता है.
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