आतंकी हमले में बाल-बाल बची लड़की, लेकिन डर के चलते 6 साल बाद खुद लगा लिया मौत को गले!
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आतंकी हमले में बाल-बाल बची लड़की, लेकिन डर के चलते 6 साल बाद खुद लगा लिया मौत को गले!

शांति ने घर से बाहर जाना बंद कर दिया था और हालात इतने खराब हो गए कि शांति ने 2018 और 2020 में आत्महत्या की भी कोशिश की. शांति के मन में इतना डर बैठ गया था कि वह एंटी डिप्रेशन दवाईयों का सेवन करने लगी.

आतंकी हमले में बाल-बाल बची लड़की, लेकिन डर के चलते 6 साल बाद खुद लगा लिया मौत को गले!

नई दिल्लीः दुनिया ने कई आतंकी हमले देखे हैं. इन हमलों में जान माल का भारी नुकसान हुआ है. जो लोग इन आतंकी हमलों में बच जाते हैं, उन्हें भाग्यशाली ही कहा जाएगा लेकिन क्या आतंकी हमले में बचे सभी लोग भाग्यशाली होतै हैं? बेल्जियम की एक युवती शायद इतनी लकी नहीं थी क्योंकि आतंकी हमले में बचने के 6 साल बाद युवती ने खुद ही मौत को गले लगा लिया है. दरअसल आतंकी हमले के बाद से ही युवती काफी डरी और तनाव में रहती थी. इसी डर के चलते उसने इच्छामृत्यु पाकर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 

क्या है मामला
बेल्जियम की 23 साल की शांति डी कोर्टे जब 17 साल की थी तो वह एक आतंकी हमले का शिकार हो गई थी. दरअसल साल मार्च 2016 में शांति अपने स्कूल की एक दोस्त के साथ छुट्टियां बिताने इटली जा रही थी. जब वह बेल्जियम एयरपोर्ट पर थे, तभी वहां आईएसआईएस के आतंकियों ने बम विस्फोट किया. इस विस्फोट में 32 लोगों की मौत हो गई और 300 के करीब लोग घायल हुए. घायलों में शांति डी कोर्टे भी शामिल थी. 

आतंकी हमले में शांति की जान तो बच गई लेकिन वह इस हादसे से इतना घबरा गई कि वह फिर कभी सामान्य जीवन नहीं जी पाई. शांति को डर और तनाव की वजह से पैनिक अटैक आने लगे. वह डिप्रेशन में चली गई. शांति डी कोर्टे ने अपने गृहनगर एंटवर्प में कई मनोवैज्ञानिकों से मुलाकात कर अपने डर से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. 

शांति ने घर से बाहर जाना बंद कर दिया था और हालात इतने खराब हो गए कि शांति ने 2018 और 2020 में आत्महत्या की भी कोशिश की. शांति के मन में इतना डर बैठ गया था कि वह एंटी डिप्रेशन दवाईयों का सेवन करने लगी और आखिरकार जब किसी चीज से राहत नहीं मिली तो शांति ने अपनी जीवन लीला ही समाप्त करने का फैसला किया. बता दें कि बेल्जिम में इच्छा मृत्यु का प्रावधान है. 

शांति ने बेल्जियम की सरकार से इच्छा मृत्यु देने की मांग की. इसके बाद मनोवैज्ञानिकों ने शांति को समझाने की कोशिश की लेकिन जब सफलता हाथ नहीं लगी तो शांति की इच्छामृत्यु की मांग को मान लिया गया. इसी साल मई में शांति को इच्छामृत्यु दे दी गई. शांति की मां कई बार अपनी बेटी के दर्द के बारे में सोशल मीडिया पर लिख चुकी हैं, जिसके बाद अब यह मामला दुनियाभर में सुर्खियों में बना हुआ है.  

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