MP: रायसेन में विराजती हैं मां हिंगलाज महारानी, 500 साल से ज्यादा पुराना है मंदिर
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MP: रायसेन में विराजती हैं मां हिंगलाज महारानी, 500 साल से ज्यादा पुराना है मंदिर

मध्य प्रदेश के रायसेन में मां हिंगलाज बाड़ी के नाम से एक मंदिर है जो लगभग 500 साल पुराना है. यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर की ज्योति मुख्य मंदिर से लगाई थी और फिर यहां मां को स्थापित किया गया. 

हिंगलाज मंदिर बलूचिस्तान में है जो 52 शक्तिपीठों में से एक है. फाइल फोटो

नई दिल्ली: नानी पीर के नाम से मशहूर मां हिंगलाज महारानी का मंदिर बलूचिस्तान में मौजूद है. 52 शक्तिपीठों में से एक मां हिंगलाज के इस मंदिर की देखभाल वहां के मुसलमान करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां हिंगलाज का एक मंदिर भारत में भी मौजूद है. मध्य प्रदेश के रायसेन में मां हिंगलाज बाड़ी के नाम से एक मंदिर है जो लगभग 500 साल पुराना है. यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर की ज्योति मुख्य मंदिर से लगाई थी और फिर यहां मां को स्थापित किया गया. 

इस प्राचीन मंदिर के विषय में बुजुर्ग बताते हैं कि 16वीं सदी में खाकी अखाड़ा के महंत भगवानदास जी महाराज को मां हिंगलाज देवी के दर्शन करने की इच्छा मन में हुई. महंत संत भगवान दास महाराज भगवान राम के भक्त थे. महंत की लगन और श्रृद्धा को देखते हुए मां ने उन्हें कन्या के रूप में दर्शन दिए. भगवान दास बलूचिस्तान से मां को ज्योति के रूप में बाड़ी लेकर आ गए. उस समय ये इलाका जंगली और दुर्गंम स्थान था जो खाकी राम जानकी अखाड़े के नाम से जाना जाता था. यहां तक सिर्फ तपस्वी साधु संत ही पहुंच सकते थे. 

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भगवानदास ने ज्योति स्वरुप मां को मूर्ति के सामने स्थापित किया. बाद में ज्योति मूर्ति में समाहित हो गयी. आज ये मंदिर हिंगलाज कहलाता है. हिंगलाज का अर्थ है सबको तत्काल फल देने वाली मां. हिंग का अर्थ है रौद्र रूप और लाज का अर्थ लज्जा है. कथा के अनुसार गुस्से में शिव के सीने पर पैर रखने के बाद मां शक्ति लज्जित हुई थीं. इस लिए रौद्र और लज्जा को मिलाकर मां का नाम हिंगलाज पड़ा.

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