छत्तीसगढ़: महामाया मंदिर में जलती है मनोकामना की 'जोत', मां का आशीर्वाद लेने देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
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छत्तीसगढ़: महामाया मंदिर में जलती है मनोकामना की 'जोत', मां का आशीर्वाद लेने देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

रायपुर का महामाया मंदिरतांत्रिक पद्धति से बना है और देश ही नहीं विदेशों से भी भक्त मां के दर्शन करने आते हैं. माता का यह मंदिर बेहद चमत्कारिक माना जाता हैं, यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नत तुरंत पूरी होती है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो चुके हैं. मां के नौ रूपों की साधना का पावन पर्व नवरात्र हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है. उत्तर भारत से लेकर बंगाल तक देश के हर कोने में मां के अलग-अलग स्वरूपों की भक्ति की जाती है. छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी मां आदिशक्ति महामाया के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर को हैहयवंशी राजाओं ने बनवाया था. इस वंश के राजाओं ने छत्तीसगढ़ में छत्तीस किले बनवाए और हर किले की शुरुआत में मां महामाया के मंदिर की स्थापना करवाई. रायपुर के महामाया मंदिर में मां महालक्ष्मी, मां महामाया और सम्लेश्वरी देवी के रुप में दर्शन देती हैं. मां का दरबार सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ हैं. 

रायपुर का महामाया मंदिरतांत्रिक पद्धति से बना है और देश ही नहीं विदेशों से भी भक्त मां के दर्शन करने आते हैं. माता का यह मंदिर बेहद चमत्कारिक माना जाता हैं, यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नत तुरंत पूरी होती है. मंदिर के गुंबज श्री यंत्र की आकृति का बनाए गए हैं. 

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जब स्वयं मंदिर प्रकट हुई मां महामाया 
इतिहास के अनुसार इस मंदिर की प्रतिष्ठा हैहयवंशी राजा मोरध्वज के हाथों किया गया था. बाद में भोंसला राजवंशीय सामन्तों व अंग्रेजी सल्तनत द्वारा भी इसकी देखरेख की गई है. यह मंदिर हैहयवंशी के राजा मोरध्वज ने खास तांत्रिक विधि से बनवाया था. हैहयवंशी के राजाओं की माता कुलदेवी है. इस तरह राजवंश ने पूरी छत्तीस मंदिरों का निर्माण करवाया था, यह मंदिर राजाओं के किलों के पास स्थित है. जो भी भक्त सच्ची आस्था से मनोकामना मांगता है, वह पूरी जरूर पूरी होती है. यह देश का पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान भैरव स्वरूप के दो मंदिर हैं. 

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