किसानों का कहना है कि हमने कई बार प्रशासन को अवगत करवा दिया है. लेकिन, वह विभाग सड़कों पर अपने वाहन में चक्कर लगाकर चला जाता है.
Trending Photos
चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम के ग्रामीण इलाकों में किसान काफी समय से नीलगाय से परेशान हैं. कई बार वन विभाग को इसके लिए आवेदन भी दिए हैं लेकिन, कोई कारवाई नही हुई. वहीं, वन विभाग भी इस समस्या के समाधान को लेकर बेतुका समाधान देते हुए कहते हैं कि किसान अपने खेत की फेन्सिंग करवाएं. दरअसल, मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के कुछ किसान मौसम की गड़बड़ी या खराब खाद बीज जैसे कारणों से नहीं बल्कि वन्य प्राणी नीलगाय द्वारा फसले नष्ट करने से बेहद परेशान हैं.
जिले के सेलाना, आलोट, जावरा क्षेत्र में किसान नीलगाय से काफी ज्यादा परेशान हैं. नीलगाय किसानों की फसलों को खराब कर रही हैं. वहीं, इन नीलगायों को भगाते किसान इनके हिंसक होने पर घायल भी हो जाते हैं. नीलगायों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है. यह झुंड बनाकर खेतों में घुस जाती हैं. कुछ ग्रामीण इलाकों में तो इनका झुंड 100 की संख्या में है. जब इतना बड़ा झुंड खेतों मे घुस जाता है तो, फसल को बचाना किसानों के लिए नामुमकिन हो जाता है. किसानों की फसलें पूरी तरह से पकने को हैं. यदि फसल पकने के बाद ये नीलगाय खेतों में घुस जाएगी तो, किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और पूरी फसल खराब हो जाएगी.
किसानों का कहना है कि हमने कई बार प्रशासन को अवगत करवा दिया है. लेकिन, वह विभाग सड़कों पर अपने वाहन में चक्कर लगाकर चला जाता है और नीलगाय खेतों में दौड़ती है. फसल को नीलगाय से बचाने के लिए किसान अलग-अलग तरीके इस्तेमाल कर रहा है. कभी घोपन से पत्थर चलाकर इन्हें भगाने की कवायद होती है. कभी किसान एकत्रित होकर अपनी फसलों की निगरानी करते हैं. इसके बावजूद भी कई बार नीलगाय का झुंड इतना बड़ा होता है कि वे किसानों को ही दौड़ा देती है और कई बार किसान घायल हो जाते हैं.
रतलाम वन विभाग से इस समस्या के बारे मे बात की गई तो, उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे मे जानकारी है कि नीलगाय से कहां-कहां परेशानी है. वन विभाग की मानें तो, जिले में हजारों की तादात में नीलगाय की संख्या हो चुकी है. वहीं, इसके समाधान पर विभाग का जवाब बड़ा ही बेतुका है. वन विभाग के एसडीओ का कहना है कि हमने किसानों को कह दिया है कि वे अपने-अपने खेतों की फेन्सिंग करवा लें. अब सवाल यह खड़ा होता है कि खेतों की लाखों किसानों की फसल की फेन्सिंग कैसे संभव है. ज्यादातर खेत एक दूसरे से लगे हुए हैं. ऐसे में फेन्सिंग करवाने से कई किसान अपने खेतों तक नही पहुंच पाएंगे और विवाद की स्थिति बन जाएगी.
वन विभाग के अधिकारी नीलगाय को पकड़कर जंगलों में छोड़े जाने की प्रक्रिया को भी महंगा बताकर इससे पल्ला झाड़ रहे हैं. अब सवाल यह भी है कि जब वन विभाग ही इन नीलगाय पर अंकुश लगाने में खुद को असहाय बता रहा है तो, ऐसे में किसान कैसे नीलगाय का सामना कर पाएगा.