गुना जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी. बुनकर ने संवाददाताओं को बताया, "निपाह वायरस को लेकर सभी से सतर्कता बरतने को कहा गया है. पिछले दिनों यहां मरे चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया है, उसकी रिपोर्ट का इंतजार है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा."
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भोपाल: मध्य प्रदेश के गुना जिले में बड़ी संख्या में चमगादड़ों के मरने के बाद इलाके में निपाह वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो गया है. इसके लेकर गुना और ग्वालियर में चिकित्सा परामर्श जारी किया गया है. सूत्रों के अनुसार, दो-तीन दिन पूर्व गुना में बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत हुई थी. इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग सतर्क हुआ है. निपाह वायरस चमगादड़ों की वजह से ही फैलता है. गुना जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी. बुनकर ने संवाददाताओं को बताया, "निपाह वायरस को लेकर सभी से सतर्कता बरतने को कहा गया है. पिछले दिनों यहां मरे चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कराया गया है, उसकी रिपोर्ट का इंतजार है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा."
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में उक्त बीमारी की जांच की सुविधा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी पुणे में है. जांच के लिए थ्रोट स्वाब, पेशाब, रक्त आदि के नमूने लिए जाते हैं. गुना के अलावा ग्वालियर जिले में भी वायरस से सतर्क रहने के लिए परामर्श जारी किया गया है, क्योंकि गुना ग्वालियर संभाग के तहत ही आता है और संभाग के सभी जिलों के मरीज संभागीय सरकारी अस्पताल में पहुंचते हैं. ग्वालियर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. के. वर्मा ने आईएएनएस को शुक्रवार को बताया, "जिले की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं को वायरस से बचाव के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए एडवाइजरी जारी की गई है."
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उन्होंने बताया कि निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति को आमतौर पर तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, सुस्ती, उल्टी-दस्त होता है. डॉ. वर्मा ने अधीनस्थ कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि जिस भी मरीज में निपाह वायरस के लक्षण या मिलते-जुलते लक्षण पाए जाएं, उसे तत्काल जिला चिकित्सालय मुरार में तथा जेएएच अस्पताल को रेफर करें एवं उसका सम्पूर्ण रिकॉर्ड भी रखें.
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चिकित्सकों के अनुसार, निपाह वायरस एक घातक वायरल बीमारी है. यह बीमारी चमगादड़ जनित है. इस बीमारी से चमगादड़ की मृत्यु नहीं होती है. बीमारी का संक्रमण चमगादड़ द्वारा कुतरे हुए फल को सुअर द्वारा ग्रहण करने पर सुअरों को हो जाती है. मनुष्यों में यह बीमारी दूषित कच्ची ताड़ी पीने से एवं संक्रमित चमगादड़ और सुअर के संपर्क में आने से हो जाती है. मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण निकट शारीरिक संपर्क से, शरीर के तरल पदार्थ से होती है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने चमगादड़ व सुअर से बचाव करने, कीड़ों या पक्षी द्वारा कुतरे हुए फलों का सेवन न करने, लम्बे समय से उपेक्षित कुंओं में प्रवेश न करने, बड़ी चमगादड़ों एवं सुअरों के संपर्क से बचने, संभावित निपाह वायरस से संक्रमित रोगी से दूर रहने की सलाह दी है.