कहानी इंदौरी मिल्खा सिंह की: घर की दीवारों पर टंगे हैं जीत के मेडल्स, लेकिन खाली हैं राशन के डिब्बे
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कहानी इंदौरी मिल्खा सिंह की: घर की दीवारों पर टंगे हैं जीत के मेडल्स, लेकिन खाली हैं राशन के डिब्बे

इंदौर का कार्तिक जोशी जो चेहरे पर हल्की मुसकुराहट लिए हवा की गति से धरती पर फर्राटे भरता है. जिसने 39 घण्टे में 262 किमी दौड़कर कीर्तिमान बनाया है. जिसे इंदौरी मिल्खा सिंह के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक 19 साल की उम्र में हिंदुस्तान के 19 राज्यों की धरती पर अपने कदमों की छाप छोड़ चुका है.

कार्तिक जोशी

वैभव शर्मा/इंदौर: कोरोना काल में अधिकतर लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. यही हालत इंदौरी मिल्खा सिंह की भी है. आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिसके घर की दीवारों पर तो ढेरों मेडल्स टंगे हैं, लेकिन राशन के डिब्बे खाली हैं.

कार्तिक जोशी जो 19 राज्यों में छोड़ चुका अपनी छाप
इंदौर का कार्तिक जोशी जो चेहरे पर हल्की मुसकुराहट लिए हवा की गति से धरती पर फर्राटे भरता है. जिसने 39 घण्टे में 262 किमी दौड़कर कीर्तिमान बनाया है. जिसे इंदौरी मिल्खा सिंह के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक 19 साल की उम्र में हिंदुस्तान के 19 राज्यों की धरती पर अपने कदमों की छाप छोड़ चुका है. रेगिस्तान की गर्मी से लेकर उत्तराखंड की बर्फबारी तक में दौड़ लगाकर कार्तिक जोशी रिकॉर्ड बना चुका है.लेकिन कार्तिक और उसका परिवार इस वक्त बुरे वक्त से गुजर रहा है.

इंदौरी मिल्खा सिंह कोरोना काल के चलते आर्थिक बेढ़ियों में जकड़ा हुआ है. घर की हालत ऐसी है कि थकने के बाद पैर फैलाकर सो भी ना सके. कार्तिक जोशी का 5 सदस्यीय परिवार 10/8 के कमरे  में रहता है. पिता चाय की दुकान चला कर अपने परिवार का पेट भरते थे, कोरोना के कारण वो दुकान भी बंद हो गई.

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कार्तिक का कहना है कि उसने प्रधानमंत्री से लेकर स्थानीय सांसद तक सबको पत्र लिखकर मदद मांग ली है, लेकिन अब तक कुछ भी मदद नहीं मिली है. हालांकि एक निजी कंपनी ने कार्तिक के टेलेंट को देखते हुए उसे इस्पोंसर किया है लेकिन वहां से भी ज्यादा मदद नहीं हो पाती है. 

अपनी रनिंग के बारे में कार्तिक बताता है कि उसके पिता ओमप्रकाश जोशी एक चाय की दुकान चलाते थे. जिससे होने वाली आमदनी से ही ये 5 सदस्यों वाला परिवार चलता था. जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई. कार्तिक के पिता को अब ऑनलाइन शॉपिंग के एजेंट का काम कर अलग-अलग दुकानों पर कपड़े पहुंचाने का काम करना पड़ रहा है.

परिवार को है सरकार से मदद की उम्मीद

कार्तिक के जज्बे और मेहनत को देखकर हर कोई चोंक जाता है.बिना किसी कोच की मदद के खुद को अंतर राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए कार्तिक और उसका पूरा परिवार कोई कसर नही छोड़ रहा है.उन्हें उम्मीद है कि एक दिन जरूर ऐसा आएगा जब सरकार और प्रशासन खुद आगे आकर उनकी मदद करेंगे.

कार्तिक के नाम हैं ये बड़े रिकॉर्ड 
(1) 39 घंटे में 262 किलोमीटर दौड़ के जीता गोल्डन टिकट (USA)

(2) 17 घंटे में 114 किलोमीटर दौड़ देश में पहला स्थान

(3) 21 घंटे में 141 किलोमीटर दौड़ जीता गोल्ड मेडल

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