जबलपुर में अपनी पत्नी के साथ अकेले रह रहे ज्ञानप्रकाश ने अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर्स का पर्याप्त स्टॉक भी रखा है, जिसे वो खुद जरुरत पड़ने पर बदलते रहते है. ना अस्पताल के मंहगे इलाज की फिक्र, ना इलाज में लापरवाही का डर और ना इंफेक्शन का खतरा होता है.
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जबलपुर: ताजमहल को प्यार की सबसे बड़ी निशानी कहा जाता है, जहां शाहजहां ने ताजमहल अपनी पत्नी के मरने के बाद बनवाया था, लेकिन जबलपुर में एक पति ने अपनी बीमार पत्नी को स्वस्थ्य रखने के लिए अपने घर को हॉस्पिटल और कार को एंबुलेंस बना दिया. दिलचस्प बात यह है कि यह शख्स कोई क्वालीफाइड डॉक्टर नहीं, बल्कि एक रिटायर्ड इंजीनियर है.
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घर अस्पताल और कार एंबुलेंस
ये घर जबलपुर के एक रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञानप्रकाश खरे का है. ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर हुए 74 वर्षीय ज्ञानप्रकाश का बेटा और बेटी अभी विदेश में हैं जबकि वो यहां अपनी पत्नी कुमुदनी के साथ अकेले रहते है. कुमुदनी को सीओटू नार्कोसिस नाम की बीमारी है, इस बीमारी में उन्हें जिंदा रहने के लिए लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट की जरुरत होती है. अस्पतालों के लगातार चक्कर काटने के बाद ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी को अस्पताल से बेहतर और सुरक्षित माहौल देना चाहा था. इसी कवायद में इस रिटायर्ड इंजीनियर ने अपने घर को अस्पताल और अपनी कार को ऑक्सीजन फिटेट एंबुलेंस में बदल दिया.
डॉक्टर को घर से भेजते रिपोर्ट
ज्ञानप्रकाश के घर यहां वैंटिलेटर,ऑक्सीजन,एयर प्यूरिफायर के अलावा ऐसी भी कई सुविधाएं हैं जो आम अस्पतालों में ना मिलें. रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञानप्रकाश ने अपनी पत्नी के लिए कई मेडिकल डिवाईस भी बनाई हुई है. इसमें मोबाईल स्टैथिस्कोप भी अनोखा है. जिसमें वो अपनी पत्नी की हार्टबीट मोबाईल में कैद कर लेते हैं और उसकी साउंड फाईल वॉट्सएप के जरिए डॉक्टरों को भेज देते है, ताकि डॉक्टर बिना घर आए भी कुमुदनी को दवाएं प्रेस्क्राईब कर सकते है. पत्नी की देखरेख के अलावा सामाजिक गतिविधियों में भी खासे एक्टिव रहने वाले ज्ञानप्रकाश दूसरे लोगों को भी बढ़ती उम्र का तनाव छोड़कर अपने अनुभव से हर समस्या का समाधान निकालने की सलाह देते है.
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अस्पताल से बेहतर साबित होता घर
जबलपुर में अपनी पत्नी के साथ अकेले रह रहे ज्ञानप्रकाश ने अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर्स का पर्याप्त स्टॉक भी रखा है, जिसे वो खुद जरुरत पड़ने पर बदलते रहते है. ना अस्पताल के मंहगे इलाज की फिक्र, ना इलाज में लापरवाही का डर और ना इंफेक्शन का खतरा होता है. वहीं अपने घर के आईसीयू में कुमुदनी को बेहतर स्वास्थय सुविधाएं मिल रही हैं जिससे उनकी सेहत में सुधार भी नजर आने लगा है. वेंटिलेटर छोड़कर महज 25 हजार के खर्च में बना ये घरेलू अस्पताल ज्ञानप्रकाश के प्रेम की भी अनोखी निशानी है.
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इंजीनियर सब काम कर लेता है
जब ज्ञानप्रकाश से पूछा गया कि वह यह सब कैसे कर लेते है तो इस सवाल के जवाब पर वे कहते हैं - मैं एक इंजीनियर हूं, और इंजीनियर हर काम कर लेता है. मैं लगातार पल्स ऑक्सी मीटर से ऑक्सीजन मॉनीटर करता हूं और उसके मुताबिक ही ऑक्सीजन सप्लाई को रेग्यूलेट करते रहता हूं.
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